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मुनाफा नहीं होने के बावजूद पुस्तैनी धंधा नहीं छोड़ रहे लोहरदगा के गड़ेरी परिवार

गड़ेरी परिवार के लोग आज भी पुश्तैनी धंधे से जुड़े हुए हैं. गड़ेरी परिवार के लोग भेड़ पालन कर अपना जीविकोपार्जन करते है. हालांकि भेड़ से जुड़े व्यवसाय में इन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 18, 2022 2:10 PM

लोहरदगा : सेन्हा थाना क्षेत्र के घाटा साहुवा टोली में गड़ेरी परिवार के लोग आज भी पुश्तैनी धंधे से जुड़े हुए हैं. गड़ेरी परिवार के लोग भेड़ पालन कर अपना जीविकोपार्जन करते है. हालांकि भेड़ से जुड़े व्यवसाय में इन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. घाटा निवासी ललन गड़ेरी, रामू गड़ेरी, हरिमोहन गड़ेरी का परिवार आज भी भेड़ को पुश्तैनी धंधा के रूप में चलाते आ रहे हैं.

तीनों गड़ेरी परिवार में लगभग 16 से 17 सदस्य है. जो इसी व्यवसाय से जुड़े है. भेड़ व्यवसाय से इन्हें कोई खास मुनाफा नहीं होता है. ललन गड़ेरी, रामू गड़ेरी, हरिमोहन गड़ेरी का कहना है कि बाजार की व्यवस्था नहीं रहने के कारण यह व्यवसाय फायदेमंद नहीं है. इन लोगों ने बताया कि भेड़ के बालों से बने कंबल का उपयोग सालों भर होता है.

ग्रामीण इलाके के लोग भेड़ के बाल से बने कंबल का उपयोग ठंड के अलावा गर्मी एवं बरसात के मौसम में भी करते है. भेड़ का मांस भी बिकता है. लेकिन बाजार के अभाव में यह नहीं हो पा रहा है. सिर्फ कभी कभार पूजा के नाम पर लोग भेड़ा खरीदने पहुंचते है.

ललन गड़ेरी, रामू गड़ेरी, हरिमोहन गड़ेरी का कहना है कि यदि बाजार उपलब्ध हो, तो भेड़ पालन व्यवसाय के रूप में किया जा सकता है. भेड़ के बाल की मांग बहुत है. लेकिन बाजार के अभाव में औने पौने दामों में बेचा जाता है. भेड़ का बाल साल में एक बार कटिंग किया जाता है. हालांकि भेड़ साल में दो बार बच्चे देते है. यदि बाजार की समुचित व्यवस्था हो तो भेड़ का मांस भी बाजारों में बेचा जा सकता है.

इसके अलावा भेड़ के गोबर के खाद का उपयोग भी खेती के लिए हो सकता है. लेकिन बाजार के अभाव में सिर्फ भेड़ी का बाल ही हमलोग बिचौलियों के माध्यम से बेच पाते है. गड़ेरी परिवार के लोगों ने बताया कि हमलोगों के पास वर्तमान समय में 1 हजार से ज्यादा भेड़ है. भेड़ पालन को बढ़ावा देने के लिए ना तो सरकार की तरफ से काई पहल किया जा रहा है और ना ही प्रसाशनिक स्तर पर. जिसके कारण परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है.

इन लोगों ने बताया कि आर्थिक तंगी के कारण दूसरा व्यवसाय भी नहीं कर पा रहे है. गड़ेरियों के द्वारा बनाये गये कंबल की मांग जाड़ा के अलावा गर्मी में भी होती है. चूंकि जाड़ा के मौसम में यह कंबल काफी गर्म रखता है. इसलिए ग्रामीण क्षेत्र के लोग इसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. वहीं इस कंबल का उपयोग गर्मी के मौसम में भी लोग करते है. गर्मी में यह कंबल लोग बिछाकर सोते है तो यह ठंडक का एहसास देता है. इस कंबल को लोग अपने घरों में रखना पसंद करते हैं.

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