ईख की मिठास से आ रही है जीवन में खुशहाली
जिले के किसान अब धान के अलावा अन्य फसलों की ओर अपना रुख किये हैं.
गन्ने की मांग बढ़ने पर किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं
फोटो. खेतों में लगी ईख की फसलगोपी कुंवर, लोहरदगा
जिले के किसान अब धान के अलावा अन्य फसलों की ओर अपना रुख किये हैं. पहले सिर्फ धान की खेती पर ही लोग निर्भर रहते थे, लेकिन अब लोग ईख की खेती कर समृद्ध हो रहे हैं.लोहरदगा जिला के सेन्हा, भंडरा, किस्को एवं कुडू प्रखंड में बड़े पैमाने पर ईख की खेती की जा रही है. किसानों का कहना है कि काफी कम लागत व काफी कम मेहनत में ईख की खेती होती है और मुनाफा भी अच्छी होती है. लोहरदगा से ईख बिहार यूपी के चीनी मिलों में भी भेजी जाती है, लेकिन इसमें थोड़ी परेशानी होती है और अब तो बिहार के व्यवसायी खुद आकर सौदा कर लेते हैं. स्थानीय बाजारों में भी ईख के रस की बिक्री बडे पैमाने पर होने लगी है. इसके लिए विशेष गाड़ी बनायी गयी है, जो घूम-घूम कर गन्ने की रस की बिक्री करते हैं. गांव-गांव में अब लोग गुड़ भी बनाने लगे हैं. ईख अब इस इलाके में समृद्धि का प्रतीक बनता जा रहा है.गन्ने की मांग बढ़ने व घर बैठे गन्ना की बिक्री होने से किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं. किसान गन्ने की खेती कर बेहतर आमदनी कमा रहे हैं. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष बेहतर गन्ने की फसल हुई है.
किसानों को गन्ने को बेचने के लिए बाजार जाने की आवश्यकता नहीं पड़ रही है.सारे गन्ने खेत से ही बिक जा रहे हैं.किस्को प्रखंड क्षेत्र के किसानों ने लगभग 50 एकड़ से अधिक भूमि पर गन्ना की खेती की है.जिसे हजारीबाग औरंगाबाद जमशेदपुर गोरखपुर पटना, गया, चाईबासा, टाटा,लातेहार व अन्य जगहों के व्यापारी जाकर खेतों से ही खरीद कर ले जा रहे हैं.एक वाहन में किसानों के 09 हजार गन्ने लोड किए जाते हैं,जिससे किसानों को एक से डेढ़ लाख रुपये लगभग प्राप्त होती है.सेन्हा प्रखंड के किसान भी बडे पैमाने पर ईख की खेती किये हैं. लगभग 100 एकड़ में ईख की खेती की गयी है. इन्हें भी बेहतर आमदनी हो रही है. ईख के मामले में लोहरदगा की एक अलग पहचान बन रही है.
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