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आत्मनिर्भर बन रही लोहरदगा की महिलाएं, औद्योगिक सिलाई सेंटर से जुड़ 70 लोगों ने बदली अपनी किस्मत

जिले की महिलाओं को स्वावलंबी व आत्मनिर्भर बनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है. क्षेत्र की महिलाएं आज सिलाई सेंटर से जुड़ कर नि:शुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर स्कूल ड्रेस सील कर बेहतर आय कर रही है.

लोहरदगा : जिले की महिलाओं को स्वावलंबी व आत्मनिर्भर बनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है. क्षेत्र की महिलाएं आज सिलाई सेंटर से जुड़ कर नि:शुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर स्कूल ड्रेस सील कर बेहतर आय कर रही है. महिलाओं द्वारा बनाये गये ड्रेस आज पूरे जिले के सरकारी विद्यालयों के बच्चों को दी जा रही है.

प्राइवेट संस्थानों व नवोदय विद्यालयों में महिलाओं की बनायी हुई ड्रेस की मांग को देखते हुए आपूर्ति की जाने की प्लानिंग की जा रही है व अधिक से अधिक ड्रेस बनाये जा रहे हैं. सिलाई सेंटर में फिलहाल 70 दीदी जुड़ कर बेहतर आमदनी कर रही है. सिलाई सेंटर में 70 दीदियों के अलावा अन्य दीदियों को प्रशिक्षण देकर सिलाई सेंटर में काम देने का लक्ष्य रखा गया है. सक्षम महिला उत्पादन समूह के ट्रेनर सृष्टि सिंह व बृजेश कुमार सिंह द्वारा दीदियों को प्रशिक्षण देकर ड्रेस बनाने के तरीके सेंटर में सिखाये जाते हैं.

फिलहाल 70 दीदियों को प्रशिक्षण दिया गया है, जिसमें 15 दीदियों का चयन कर समूह में जोड़ा गया है. जिन दीदियों के लिए 10 मशीन की मांग की गयी है. जैसे ही मशीन आयेगी,15 दीदियों को कार्य के लिए बुला लिया जायेगा. सिलाई सेंटर के माध्यम से 80 दीदियों को हमेशा काम देने का लक्ष्य रखा गया है, जो पूरा हो जायेगा. औद्योगिक सिलाई-कढ़ाई से जुड़ कर फिलहाल 70 महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं, जिन्हें सरकारी स्कूल का ड्रेस बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है.

वहीं सिलाई सेंटर में काम करनेवाली महिलाओं को प्रतिदिन 300 रुपये मजदूरी दी जाती है. सिलाई सेंटर में कुल 107 अलग-अलग प्रकार की मशीनें उपलब्ध करायी गयी है. इससे सभी प्रकार के कार्य किये जाते हैं. सिलाई मशीन में फिलहाल 65 ऑपरेटर कार्य कर रहे हैं, जबकि हेल्फिंग हैंड के रूप में 15 दीदियों को रखा जाना है, जिसमें अभी पांच दीदी उपलब्ध रहती है.

वहीं अन्य दीदियों को जल्द कार्य में लगा दिया जायेगा. सिलाई सेंटर के माध्यम से सरकारी विद्यालयों के लिए शर्ट, पैंट, स्कर्ट, कुर्ती, सलवार व दुपट्टा निर्माण कार्य किये जा रहे हैं. इसके अलावा दीदियों द्वारा ग्रामीण स्वास्थ्य विभाग के लिए आठ हजार जूट के बैग तैयार किये गये हैं. नवोदय विद्यालय के लिए फूल पैंट, फूल शर्ट, कुर्ती, सलवार व दुपट्टा तैयार करने का कार्य किया जा रहा है. जिला प्रशासन की मुहिम महिलाओं के प्रति सकारात्मक सोच के साथ महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में सार्थक पहल रंग ला रही है.

जिले के विभिन्न क्षेत्रों के महिलाओं की टुकड़ी किस्को प्रखंड के समीप स्थित सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण केंद्र में अपने हुनर का प्रदर्शन कर प्रतिदिन 300 रुपये की आमदनी कर रही है. इससे न सिर्फ महिलाओं का जीविकोपार्जन मजबूत हुआ है, बल्कि महिलाओं के परिवार वालों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई हैं. आज महिलाएं खुद के पैरों में खड़ा होकर अपने घर परिवार वालों को सशक्त बनाने की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाने का कार्य कर दिखा रही है.

प्रशिक्षण केंद्र व सिलाई सेंटर को औद्योगिक मशीन व सीसीटीवी से लैस रखा गया है, ताकि हर गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा सके. सिलाई सेंटर में कार्य कर रही महिलाओं के लिए एक से बढ़ कर एक सुविधा बहाल की गयी है. सिलाई सेंटर केंद्र में महिलाओं द्वारा बनाये गये एक से बढ़ कर एक कपड़े सजा कर रखे गये हैं. वहीं सिलाई कढ़ाई के दर्जनों बेहतर क्वालिटी की आकर्षक मशीनें रखी गयी है, जिससे महिलाएं सिलाई कर रही हैं.

सिलाई सेंटर केंद्र में पेयजल, शौचालय, बिजली समेत सभी प्रकार के सुविधाएं बहाल की गयी हैं. महिलाओं को किसी तरह की परेशानी न हो, इसका ख्याल रखा गया है. जेएसएलपीएस के सेंटर मैनेजर सतीश कुमार का कहना है कि जेएसएलपीएस द्वारा महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से महिलाओं को प्रशिक्षण देकर रोजगार उपलब्ध कराये जा रहे हैं. विद्यालयों में मांग के अनुसार विभिन्न प्रकार की बेहतर क्वालिटी के कपड़े तैयार किये जा रहे हैं व विद्यालयों में आपूर्ति की जा रही है.

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