Lok Sabha Election 2024: लोक सभा 2024 के चुनावी रण में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. रांची लोकसभा क्षेत्र से अलग होकर बनी लोहरदगा सीट कई मायनों में महत्वपूर्ण है. इसका न सिर्फ राजनीतिक, बल्कि ऐतिहासिक संदर्भ भी है. जैन पुराण के मुताबिक भगवान महावीर भी लोहरदगा आए थे. आयन-ए-अकबरी किताब में भी लोहरदगा की खूबसूरती का बखान किया गया है. अपने प्राकृतिक नजारों के कारण भी यह लोगों को आकर्षित करता है.
आंकड़ों में लोहरदगा लोक सभा सीट
1957 में पहली बार यहां लोकसभा चुनाव हुआ था. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर पहली बार झारखंड पार्टी के प्रत्याशी की जीत हुई थी. 1967 में कांग्रेस ने इस पर जीत का परचम लहराया था. इसके साथ ही लंबे समय तक इस पर कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी ही जीतते रहे. पहली बार 1991 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से अपना खाता खोला.
Lok Sabha Election 2024 : अमेठी में तो अभी एक ही सवाल, राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे या नहीं?
कभी भी यह सीट किसी एक खेमे की नहीं रही.
प्रत्याशियों के साथ ही लोहरदगा सीट कभी कांग्रेस, तो कभी बीजेपी के खाते में जाती रही है. इसके साथ ही इस पर टक्कर भी कांटे की ही रही है. लगभग 19 लाख की जनसंख्या वाली इस सीट की बड़ी आबादी गांवों में बसती है. इसकी 94.44 प्रतिशत आबादी ग्रामीण, तो मात्र 6.06 प्रतिशत शहरी क्षेत्र में रहती है. इस पर अनुसूचित जनजाति का दबदबा है. 64.04 प्रतिशत जनसंख्या एसटी है.
गौर करने वाली बात यह है कि यहां जीत-हार का अंतर कभी भी अधिक नहीं रहा. बात अगर 2019 के लोकसभा चुनाव की कर लें तो यहां भाजपा के सुदर्शन भगत को 3,71,595 वोट मिले थे. वहीं, प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के प्रत्याशी सुखदेव भगत को 3,61,232 वोट. यानी कि हार-जीत का अंतर मात्र 10363 वोटों का था. इससे पहले भी 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सुदर्शन भगत और कांग्रेस के रामेश्वर उरांव के बीच मुकाबला हुआ था. जीत भाजपा की ही हुई. लेकिन अंतर बेहद कम, यानी 6489 वोटों का था. वर्तमान में 5 विधानसभा वाली इस सीट में से तीन पर झामुमो और दो सीट पर कांग्रेस के विधायक हैं. लोहरदगा से कांग्रेस के डॉ. रामेश्वर उरांव, मांडर से कांग्रेस की शिल्पी नेहा तिर्की विधायक हैं, वहीं, गुमला से झामुमो के भूषण तिर्की, बिशुनपुर से चमरा लिंडा और सिसई से जिगा सुसारन होरो विधायक हैं.
अभी तक की जो स्थिति है, उससे स्पष्ट है कि इस बार भी यहां जोरदार टक्कर देखने को मिलेगी. हालांकि चार जून को ही तय हो पाएगा कि सत्ता किससे पास गई और इस सीट को जीत का सेहरा कौन पहनेगा.