पाकुड़ की फुलवंती बनीं मिस संताल
दुमका. पाकुड़ की फुलवंती हेंब्रम मिस संताल परगना चुनी गयीं. आइएसफा द्वारा उपराजधानी दुमका के इंडोर स्टेडियम में आयोजित इस प्रतियोगिता में उसने छह अन्य प्रतिभागियों को अपनी अदाओं व शानदार प्रस्तुति से पछाड़ते हुए यह खिताब अपने नाम किया. मिस संताल परगना का खिताब समाज कल्याण मंत्री डॉ लोइस मरांडी ने प्रदान किया. फुलवंती […]
दुमका. पाकुड़ की फुलवंती हेंब्रम मिस संताल परगना चुनी गयीं. आइएसफा द्वारा उपराजधानी दुमका के इंडोर स्टेडियम में आयोजित इस प्रतियोगिता में उसने छह अन्य प्रतिभागियों को अपनी अदाओं व शानदार प्रस्तुति से पछाड़ते हुए यह खिताब अपने नाम किया. मिस संताल परगना का खिताब समाज कल्याण मंत्री डॉ लोइस मरांडी ने प्रदान किया.
फुलवंती पाकुड़ जिले के शहरपुर-कदमगाछी की रहनेवाली हैं. उनके पिता सेत हेंब्रम सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, जबकि मां सोनामुनी मुर्मू गृहिणी. फुलवंती रांची के निर्मला कॉलेज से जियोग्राफी में पीजी की पढ़ाई पूरी कर चुकी है और दुमका में रह कर वह जेपीएससी की तैयारी कर रही है. हालांकि उसकी इच्छा ज्ञान के प्रसार में है, इसलिए वह व्याख्याता बनना चाहती है.
ऐसे मंच से मिलेगी युवाओं को नयी दिशा : फुलवंती ने कहा कि ऐसे मंच से संताल परगना के युवाओं को बहुत ही शानदार प्लेटफार्म मिला है. युवाओं को नयी दिशा मिली है. चाहे वह फिल्म निर्माण की बात हो या अभिनय की या फिर नृत्य, गीत व संगीत की. आज संताल समाज के लोग तकनीक का इस्तेमाल कर अच्छी फिल्में बना रहे हैं. ऐसे में अभिनय को भी प्रोत्साहन मिलेगा.
अभिभावक रोक न लगायें, प्रतिभा को सामने आने दें
फुलवंती ने कहा कि वे संताल समाज के अभिभावकों से भी अपील करना चाहेंगी की वे अपने बच्चों की प्रतिभा को आगे आने दें. उसमें रोक न लगायें. कुंठित न होने दें. प्रतिभाओं को निखारने की जरूरत होती है, कुंठित करने की नहीं. ऐसे आयोजन उनकी प्रतिभाओं को बढ़ावा देगा. समाज भी ऐसे आयोजन को सहयोग करे.
संदेश : संस्कृति को बचाते हुए आगे बढ़े युवा
उसने प्रभात खबर से बातचीत में कहा कि वह युवाओं को इस मंच से संदेश देना चाहती है कि वे अपनी संस्कृति को बचाते हुए आगे बढ़े. दुनिया में किसी भी क्षेत्र में साकारात्मक तरीके से आगे बढ़े. आदिवासी समाज का युवा हर मुकाम को हासिल कर सकता है, यह हमें दिखाने-साबित करने की जरूरत है.