मुरलीपहाड़ी : सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक नारायणपुर में वृद्धा पेंशन लेने के दौरान 70 वर्षीय गोविंद मरांडी की गिर कर मौत की घटना ने बैंक प्रशासन की कार्यप्रणाली की पोल खोल कर रख दिया है.
यह खबर दिनभर चर्चा का विषय बना रहा कि वृद्ध को समय रहते अस्पताल बैंक प्रशासन क्यों नहीं पहुंचाया. ग्रामीण हो या जन प्रतिनिधि सभी इस घटना पर बैंक के कार्य पद्धति पर प्रश्नचिह्न् लग रहा है. लोगों की माने तो प्रखंड के नैयाडीह पंचायत के ठकुरायडीह गांव जो बैंक से 16 किमी दूर स्थित है.
वहां से चल कर आया वृद्ध सुबह दस बजे बैंक परिसर में पेंशन भुगतान के इंतजार तीन बजे अपराह्न् तक कड़ी धूप में करता है और उसे पेंशन तो नहीं लेकिन इसके बदले उसे मौत मिलती है. जिस प्रकार से यह घटना घटी बैंक की पुरी जिम्मेवारी बनती है की पेंशनर की सुविधा का ख्याल रखे.
लेकिन यहां बैंक ने संवेदनहीनता का परिचय दिया है. यहां के पेंशनर का कहना है कि बैंक के अधिकारी व कर्मचारी को ऐसे वृद्ध लोगों के प्रति थोड़ा भी दर्द नहीं हुआ, यहां तक कि देखने तक नहीं आये.
यहां प्रत्येक कार्य दिवस में करीब 100 से 150 वृद्ध पेंशन लाभुक पेंशन लेने पहुंचते है. इन लाभुकों के लिये बैंक में प्रवेश निषेध है. इनकी संख्या ज्यादा देखकर बैंक में प्रवेश द्वार बंद कर दिया जाता हैं. वृद्ध लोगों को पेंशन लेने हेतु लंबी अवधि तक इंतजार करना होता है. इस बीच लंबे कतार में खड़े लोग चिलचिलाती धूप में,बरसात के मौसम में भींगते हुए पेंशन मिलने के आस में खड़े रहते है. बैंक इतनी कु -व्यवस्था से ग्रामीणों में बैंक के खिलाफ भारी आक्रोश व्याप्त है.
बैंक नहीं है सुविधा
बैंक भवन के दूसरे मंजिल पर स्थित है. इसमें चढ़ने-उतरने में वृद्ध लोगों को काफी परेशानी होती है. इसके बावजूद बैंक को कही और स्थानांतरित नहीं किया जा रहा है.वहीं दूसरे मंजिल पर चढ़ने वाला सिढ़ी बहुत ही संकरा है. इसमें वृद्धों का चढ़ने-उतरना बहुत ही कठिनाई होती है. परिसर में वृद्धों के लिये न तो बैठने की सुविधा है और न तो पेयजल की समुचित व्यवस्था.
मौत पर बैंक ने की लिपापोती
वृद्धा पेंशन लाभुक की मौत को सामयिक मौत बता कर पुलिस प्रशासन ने बैंक अधिकारी से दो हजार रुपये दिलाकर मामले को रफा-दफा करा दिया है. इस बड़ी दुर्घटना को छोटा बता कर पुलिस के द्वारा रफा-दफा करना व बैंक के कुव्यवस्था पर लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
मुखिया विनोद हांसदा ने कहा कि सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की लापरवाही के वजह से वृद्ध का मौत हुई है. बैंक कर्मियों पर मामला दर्ज हो.इसके मौत के कारणों की जांच होनी चाहिए. बैंक अव्यवस्था के कारण पेंशनर की मौत हुई है. इसमें बैक कर्मियों की लापरवाही साफ दिखती है.
वृद्ध के परिजन को बैंक मुआवजा दे और एक नौकरी देना सुनिश्चित करें. इधर मुखिया पान हांसदा ने कहा कि कड़ी धूप में वृद्ध लोगों का बाहर खड़ा रहना, पेंशनरों के लिये सुगम व्यवस्था नहीं करने. इन सब में बैंक की लापरवाही है. ग्राहकों के सुविधा के लिये स्थापित बैंक ग्राहकों का मौत का कारण बना है.
इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. वहीं खोगेन रक्षित ने बताया कि लंबे समय से इस बैंक में बिचौलिया का राज है. यहां बगैर बिचौलिया के वृद्धा पेंशन भुगतान नहीं होता है. इस घटना की जिम्मेदारी बैंक को लेनी चाहिए और मृत वृद्ध के परिजन को मुआवजा देनी चाहिए.ऐसा नहीं कर बैंक ने संवेदनहीनता का परिचय दिया है.
क्या कहते हैं शखा प्रबंधक
सुबोध झा ने कहा कि घटना का जिम्मेवार बैंक नहीं है. हां हमारे यहां कुछेक असुविधा हैं. इसे दुर करने के लिये वरीय अधिकारी को पत्र लिखा जायेगा.
जिले में को-ऑपरेटिव बैंक की स्थिति
जिले के प्राय सभी को-ऑपरेटिव बैंक की स्थिति कमोवेश एक जैसी ही है. जामताड़ा कोर्ट के समीप स्थित को-ऑपरेटिव बैंक के बाहर प्रतिदिन उपभोक्ताओं की भीड़ लगी रहती है. बैंक में जगह नहीं रहने के कारण बैंक परिसर में दूर-दराज से आये ग्रामीणों को धूप-बारिश में भी बाहर खड़ा रहना पड़ता है.
स्थिति तब भयावह हो जाती है जब बैंक के द्वारा पेंशन का वितरण किया जाता है.कुंडहित प्रखंड कार्यालय के समीप को-ऑपरेटिव बैंक शखा है. यहां पर्याप्त जमीन तो है मगर भवन काफी छोटा रहने से उपभोक्ताओं को बैंक के बाहर ही खड़ा रहना पड़ता है. बैंक के अंदर मुश्किल से पांच-सात लोग ही खड़े रह सकते हैं.
बीज वितरण के दौरान यहां की स्थिति दयनीय हो जाती है. वहीं नाला प्रखंड में को-ऑपरेटिव बैंक मुख्य बाजार में स्थित है. दो मंजिला इस बैंक में उपभोक्ताओं को खड़ा होने तक भी जगह नहीं है. लोगों को बैंक के बाहर इंतजार करना पड़ता है. करमाटांड़ प्रखंड स्थित को-ऑपरेटिव बैंक में जगह का घोर अभाव है. लोगों को बैंक के बाहर भी इंतजार करना पड़ता है.