नक्सलियों ने ऐसे की एसपी बलिहार की हत्या, पुलिस को भनक तक नहीं लगी, जानें पूरी घटना

रांची : पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार और उनके छह अंगरक्षकों की जुलाई 2013 में हुई हत्या पूरी प्लानिंग के तहत नक्सलियों ने की थी जिसकी भनक तक पुलिस को नहीं लगी. इस मामले में एक चौंकाने वाला तथ्य प्रकाश में आया है जिसने सबको चौंकाकर रख दिया है. ‘जी हां’, घटना के दिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2017 8:41 AM

रांची : पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार और उनके छह अंगरक्षकों की जुलाई 2013 में हुई हत्या पूरी प्लानिंग के तहत नक्सलियों ने की थी जिसकी भनक तक पुलिस को नहीं लगी. इस मामले में एक चौंकाने वाला तथ्य प्रकाश में आया है जिसने सबको चौंकाकर रख दिया है. ‘जी हां’, घटना के दिन जब बलिहार पाकुड़ से दुमका डीआइजी की बैठक में शामिल होने से रहे थे, तो घटनास्थल काठीकुंड से दो नक्सली सिद्धू किस्कू और बाबूजी सोरेन मोटरसाइकिल से पीछे-पीछे दुमका गया था. बैठक के बाद जब एसपी दुमका से पाकुड़ के लिए लौट रहे थे, तो उनके पीछे दोनों नक्सली आ रहा था. रास्ते से सिद्धू ने मोबाइल से प्रवीर दा को सूचना दी कि एसपी साहब दो गाड़ी से जमनी पिकेट पार किये हैं. इसके बाद मौके पर सुबह 7:30 बजे से तैनात पूरा नक्सली दस्ता अलर्ट हो गया. जब एसपी की गाड़ी सड़क पर कलवर्ट के पास पहुंचा, तो गाड़ी धीमी हो गयी.

एसपी की गाड़ी की टायर पर पहली गोली घटना का नेतृत्व कर रहे बिहार-झारखंड उत्तरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य सुखलाल मुर्मू उर्फ हिरेंद्र उर्फ अमृत उर्फ धीरेंद्र ने मारी थी. इसके बाद नंदलाल मांझी उर्फ विजय उर्फ प्रवीर दा और ताला दा उर्फ सहदेव राय के दस्ते ने एसपी की गाड़ियों पर अंधाधुंध फायरिंग झोंक दी थी. इसी क्रम में एक सिपाही हाथ ऊपर करके भागा था. इसलिए नक्सलियों ने उसे नहीं मारा.

घटना को अंजाम देने के बाद एसपी के पास से उनका मोबाइल, एके-47 रायफल, सुरक्षा गार्ड का हथियार, गोली, मोबाइल आदि लेकर नक्सली जंगल की ओर भाग गये थे. पुलिस की पकड़ में 26 सितंबर 2014 को आये सुखलाल मुर्मू उर्फ हिरेंद्र उर्फ अमृत उर्फ धीरेंद्र ने पुलिस की पूछताछ में उक्त खुलासा किया था. उसने बताया था कि घटना में दाउद उर्फ विमल, विजय उर्फ नंदलाल मांझी, ताला दा उर्फ सहेदव राय, दीपक देहरी, अनुज देहरी, सोनू देहरी, किरण उर्फ पकु, सिद्धु, छोटा विमल, सुधीर किस्कू, सुकुल मरांडी और टिम्पु आदि शामिल था.

2014 लोकसभा चुनाव में भी पुलिस टीम पर हमला कर लूटे थे हथियार

सुखलाल मुर्मू उर्फ हिरेंद्र उर्फ अमृत उर्फ धीरेंद्र ने बयान में कहा था कि लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान माओवादी संगठन ने यह निर्णय लिया था कि चुनाव के दौरान मतदान कर्मी आैर पुलिस गश्ती पार्टी पर हमला किया जायेगा. यह निर्णय काठीकुंड थाना में क्षेत्र के जियातपानी के समीप पहाड़ पर हुई बैठक में ली गयी थी. इसमें विजय उर्फ नंदलालमांझी, ताला दा उर्फ सहदेव और सुखलाल आदि शामिल थे. घटना कहां पर और कैसे करना है, इसकी रेकीकी जवाबदेही नंदलाल मांझी की थी. रैकी के बाद नंदलाल ने ग्राम पलासी और सरसाजोल के बीच पक्की सड़क पर विस्फोटक लगाने का स्थल चुना था.
वहां से कुछ ही दूरी पर मतदान केंद्र था. घटना के पूर्व सुबह करीब 03:00 बजे सुखलाल, नंदलाल मांझी, ताला दा, किरण दी, टिम्पू, छोटा बिमल तथा अन्य घटनास्थल से सटे पलासी नदी के पास पहुंच गये थे. पलासी नदी पक्की सड़क से काफी नीचे है और वहां काफी झाड़ी और पेड़ है. सड़क पर लैंड माइन लगाने का काम टिम्पू ने किया था. सभी नक्सली सड़क से 15 से 20 फीट की दूरी पर घात लगा कर बैठ गये थे. मतदान करा कर लौट रहे पहली गाड़ी के निकल जाने के बाद दूसरी गाड़ी जिस पर पुलिस वाले सवार थे, उसे देख कर लैंड माइन को नक्सलियों ने विस्फोट किया था. गाड़ी के क्षतिग्रस्त होते ही पुलिसकर्मी निकल कर भागने लगे थे. इसके बाद नक्सलियों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी थी. कुछ पुलिसकर्मी को दौड़ा कर खेत में गोली मारी गयी थी. हमला के बाद पुलिस के पांच हथियार लूट कर नक्सली पलासी नदी पार कर जंगल होते भाग गये थे.
घटना से पहले नक्सलियों ने किया था रिहर्सल
वारदात को अंजाम देने से पूर्व तालपहाड़ी लकड़ा नाला के ऊपर नक्सलियों ने रिहर्सल भी किया था. पहली टीम में काठीकुंड-पाकुड़ सड़क में जमनी और आमतल्ला के बीच कलवर्ट के पास था. यहां पर ताला दा उर्फ सहदेव राय, विजय उर्फ नन्दलाल मांझी और टिम्पू आदि थे. ताला दा के पास वॉकी-टॉकी था. दूसरी टीम में दाउद उर्फ विमल और दीपक देहरी थे. जिसमें दाउद के पास वॉकी टॉकी था. वहीं तीसरी टीम में सुखलाल मुर्मू उर्फ हिरेंद्र उर्फ अमृत उर्फ धीरेंद्र के अलावा सिद्धू दस्ता के सदस्य थे.

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