अन्य पांच किये गये संदेह का लाभ देते हुए बरी
संवाददाता, दुमका
पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार एवं उनके पांच अंगरक्षकों की हत्या के मामले में दुमका के जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ मो तौफिकुल हसन की अदालत ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए दो नक्सलियों को सिद्धदोष करार दिया है, जबकि पांच अन्य को संदेह का लाभ देते हुए साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है. मामले में प्रवीर दा उर्फ सुखलाल एवं सनातन बास्की उर्फ ताला दा को दोषी पाया गया है. प्रवीर दा गिरिडीह जिले के पीरतांड के बरवाडीह का रहने वाला है, जबकि सनातन बास्की उर्फ दताला दा दुमका जिले के काठीकुंड प्रखंड के चिरुडीह का रहने वाला है.
इन दोनों के सजा के बिंदु पर सुनवाई 26 सितंबर को होगी. वहीं, अदालत ने जिन अन्य पांच नक्सलियों को इस मामले में बरी कर दिया, उनमें वकील हेंब्रम, लोबिन मुर्मू, सतन बेसरा, मानवेल मुर्मू एवं मानवेल मुर्मू शामिल हैं.
2 जुलाई 2013 को हुई थी हत्या
ठीक पांच साल पहले 2 जुलाई 2013 को दुमका-पाकुड़ मार्ग पर काठीकुंड के अमतल्ला के पास हुई नक्सली वारदात में शहीद हुए पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अररजीत बलिहार एवं उनके पांच अंगरक्षक पुलिसकर्मियों की हत्या भाकपा माओवादियों ने कर दी थी. बलिहार दुमका में डीआईजी की बैठक से भाग लेने के बाद वापस लौट रहे थे. काठीकुंड से दो-तीन किमी आगे बढ़ने के बाद ही एक नवनिर्मित पुलिया के पास उछाल रहने की वजह से जैसे ही पाकुड़ एसपी की स्कार्पियो धीमी हुई थी, एंबुस लगाये बैठे सशस्त्र नक्सलियों ने ताबतोड़ ब्रस्ट फायरिंग शुरू कर दी थी, जिससे उनके अंगरक्षक वहीं ढेर हो गये.
एसपी बलिहार ने नक्सलियों से घिरने के बाद भी उनका सामना करने का भरपूर प्रयास किया था, पर बड़ी संख्या में नक्सलियों के रहने व उनके द्वारा अंधाधूंध फायरिंग किये जाते रहने से वे ज्यादा देर मुकाबला नहीं कर पाये थे और शहीद हो गये थे.