पाकुड़ से लौट कर विवेक चंद्र
देश के पिछड़े जिलों में शुमार पाकुड़ का सबसे पिछड़ा प्रखंड है लिट्टीपाड़ा : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस प्रखंड को गोद लिया है. उसके बाद प्रखंड के लिए कई विकास योजनाएं ली गयीं. इनमें से कई लागू भी की गयीं. लेकिन, कई योजनाओं की स्थिति खराब है. आसनबनी स्थित आदिम जनजाति स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति फंड के अभाव में बेहाल है.
राज्य सरकार के कल्याण मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित 50 बेड का यह अस्पताल क्षेत्र की आदिम जनजाति के लिए वरदान है. यहां रोजाना औसतन 30 से 40 मरीज इलाज कराने आते हैं.
बेहतर संचालन के लिए इसे 20 नवंबर 2018 को रिंची ट्रस्ट को सौंप दिया गया था. इसके एवज में हर वर्ष 2.5 करोड़ रुपये रिंची ट्रस्ट को दिये जाने थे. लेकिन यह राशि अब तक ट्रस्ट को नहीं मिली है. परिणामस्वरूप, अस्पताल का मेंटेनेंस नहीं हो रहा है, जिससे यह बदहाल होता जा रहा है.
अस्पताल की बदहाली पर एक नजर: अस्पताल के डॉक्टर और नर्स समेत समूचे स्टॉफ को समय से वेतन नहीं मिलता है. ये लोग पिछले चार माह से बिना वेतन के ही काम कर रहे हैं. मानदेय न मिलने से स्वीपर भी नियमित काम नहीं करते. अस्पताल की चहारदीवारी टूट गयी है. बाथरूम में पानी नहीं है, दरवाजे भी टूट गये हैं. नतीजतन मरीज खुले में शौच करने जाते हैं.
अस्पताल की परेशानी डॉक्टर की जुबानी : अस्पताल के डॉ डी हेंब्रम बताते हैं : सरकार से राशि नहीं मिलने की वजह से अस्पताल का पूरा स्टाफ कष्ट में है. व्यवस्था दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है. मरीज खुले में शौच जाते हैं, जिससे संक्रमण फैल रहा है. पिछले दिनों ही अस्पताल की पांच एएनएम को टायफाइड हो गया था. बार-बार निवेदन करने के बाद भी राशि नहीं मिल रही है. इस स्थिति में अस्पताल का संचालन ज्यादा दिनों तक संभव नहीं दिख रहा है. निकट भविष्य में अस्पताल बंद भी हो सकता है.