पाकुड़. जिले में लापरवाही व रफ्तार के कारण लोग सड़क हादसों का शिकार हो रहे हैं. हर माह ओवरस्पीड, ओवरटेक, ओवरलोड, नशे सहित अन्य कारणों से सड़क हादसे में लोगों की जान जा रही है. जिले में इस वर्ष भी चार माह में सड़क हादसों में 29 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. बावजूद लोग ट्रैफिक नियमों के पालन करने को लेकर लापरवाही बरत रहे हैं. इस वर्ष 20 अप्रैल तक जिले में 31 सड़क हादसे हुए हैं. इनमें 29 लोगों ने अपनी जान गंवायी है. औसतन हर माह सात सड़क हादसे में सात लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. यानी हर हादसे में एक की जान गयी है. परिवहन विभाग और सड़क सुरक्षा समिति द्वारा सड़क हादसों में कमी लाने को लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. लोगों को परिवहन नियम का पालन करते हुए सड़क पर चलने की अपील की जा रही है. बावजूद हादसों में किसी प्रकार की कमी नहीं देखी जा रही है. सड़क सुरक्षा समिति से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार जनवरी माह में सड़क हादसे में पांच लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. वहीं फरवरी माह में 10 लोगों ने अपनी जान सड़क हादसे में गंवायी है. इसके अलावा मार्च में आठ लोगों की जान सड़क हादसे में गयी है. इसके अलावा 20 अप्रैल तक आठ लोगों की जान सड़क हादसे के कारण गयी है.
बिना हेलमेट खतरे में है जिंदगी :
परिवहन विभाग की ओर से लगातार
दोपहिया वाहन चालकों को हेलमेट लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी लोगों की लापरवाही कम नहीं हो रही है. लोग बिना हेलमेट के दोपहिया वाहनों पर खतरे में जिंदगी डालकर सफर कर रहे हैं. इस वजह से हादसों के दौरान सिर पर चोट लगने के कारण अधिकतर लोगों की जान जा रही है.
बच्चों की सुरक्षा को लेकर बेफिक्र हैं अभिभावक :
अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावक बेफिक्र नजर आ रहे हैं. अपनी बाइक की चाभी बच्चों के हाथों में दी जा रही है. बच्चे
यातायात नियमों को धता बताकर बगैर लाइसेंस, बिला हेलमेट के बाइक पर तीन सवारियां बिठाकर शहर सहित ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर दौड़ रहे हैं. हर रोज सड़क हादसों की घटनाएं सामने आने के बाद भी अभिभावक बच्चों की सुरक्षा को लेकर बेफिक्र बने हुए हैं.
ट्रैफिक नियमों के पालन से ही हादसों में आएगी कमी:
सड़क सुरक्षा समिति के सदस्य अमित राम ने बताया कि लापरवाही व तेज रफ्तार के कारण अधिकांश सड़क हादसे हो रहे हैं. लगातार जागरूक करने के बावजूद लोग ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. अभिभावक भी नाबालिग के हाथों वाहनों की चाभी दे देते हैं. लोगों को खुद व अपने परिवार की जान की फिक्र करनी पड़ेगी.