नहीं मिलती गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

पाडेरकोला पंचायत में बुनियादी सुविधाओं का अभाव राज्य में 32 वर्ष के बाद जब पंचायत चुनाव हुआ तो लोगों में विकास की एक उम्मीद जगी लेकिन चुनाव के चार साल बाद भी पंचायत में सरकार की परिकल्पना आधी-अधूरी है. मुखिया के पास सरकार ने 14 विभागों का जिम्मा दिया था. इससे पूर्व उनके पास पांच […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 25, 2015 8:04 AM
पाडेरकोला पंचायत में बुनियादी सुविधाओं का अभाव
राज्य में 32 वर्ष के बाद जब पंचायत चुनाव हुआ तो लोगों में विकास की एक उम्मीद जगी लेकिन चुनाव के चार साल बाद भी पंचायत में सरकार की परिकल्पना आधी-अधूरी है.
मुखिया के पास सरकार ने 14 विभागों का जिम्मा दिया था. इससे पूर्व उनके पास पांच विभाग थे. जिसमें शिक्षा,स्वास्थ्य,ग्रामीण विकास,पशुपालन व मत्स्य पालन,समाज कल्याण आदि शामिल हैं. लेकिन सरकार की उदासीनता से आज भी उन विभागों को पंचायत के जिम्मे पूरी तरह से नहीं किया गया है. इसका सीधा असर ग्राम सभा में पड़ता है.
अमड़ापाड़ा : प्रखंड के पाडेरकोला पंचातय में पानी, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा व सिंचाई आदि की गंभीर समस्या है.पंचायती राज होने के चार साल बाद भी पंचायत में इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया है. पाडेरकोला पंचायत में बारह गांव आते हैं. इसमें जोरारोई, झुमको, आमतल्ला, केरमा, शहरघाटी, जितको, पाडेरकोला, अंबाजोड़ा, कमरडीहा, जबजीतपुर, सलपतरा, चिलगोजोरी है. पंचायत की कुल आबादी 6450 है. इस पंचायत के किसानों व पहाड़िया समुदाय के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है.
स्कूलों में शिक्षक की कमी
पाडेरकोला पंचायत में शिक्षा का स्तर काफी नीचे है. इस पंचायत में छोटे-बड़े कुल 17 विद्यालय हैं. सभी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है. इस कारण यहां के बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती है.
स्वास्थ्य सुविधा बदहाल
पाडेरकोला पंचायत में दो उपस्वास्थ्य केंद्र है, जो एएनएम के भरोसे चलता है. ग्रामीणों ने बताया कि यहां के लोगों को छोटे-मोटे इलाज के लिये भी बाहर जाना पड़ता है. इसका कारण केंद्र में दवा ही उपलब्ध नहीं रहती है.
पेयजल की समस्या गंभीर
पंचायत में पेयजल की समस्या काफी गंभीर है. पंचायत के पहाड़ी इलाकों में चापानलों की स्थिति खराब है. विभाग द्वारा लगाये गये अधिकतर चापानल खराब पड़े हैं. पाडेरकोला के हरिजन टोला में भी पिछले एक साल से चापानल खराब है. विभाग को सूचना देने के बाद भी कोई पहल नहीं की जाती है.

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