कोटालपोखर : कोटालपोखर थाना रोड स्थित पुराने दुर्गा मंदिर में पिछले 100 वर्षो से लगातार पूजा–अर्चना हो रही है. वर्ष 1912 में पहली बार इस मंदिर में पूजा–अर्चना स्थानीय लोगों ने शुरू की थी. यहां की मान्यता है कि भक्तों की मनोकामना को मां दुर्गा अवश्य पूरा करती है.
इस वर्ष दुर्गापूजा के पर जगह–जगह तोरण द्वार व आकर्षक विशाल मंडप बनाया जा रहा है. मंदिर में बंगाली रीति–रिवाज से पूजा की जाती है. बंगाल के पुरोहित द्वारा सप्तमी से पूजा शुरू की जाती है. अष्टमी व नवमी को लोग अपने–अपने घरों से डाला लेकर मां के मंदिर में आते हैं. नवमी को हवन होने के बाद भतूआ की बली चढ़ाई जाती है.
विजया दशमी के दिन रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम व एकादशी को मेला लगता है. इसमें बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग ढोल–नगाड़े के साथ मां के दरबार में पहुंचते हैं. दुर्गा पूजा समिति के उपाध्यक्ष संजय साह, महामंत्री रंजीत साह व कोषाध्यक्ष लक्ष्मण भगत ने कमेटी के द्वारा नवरात्र कक्ष में पहली पूजा से ही कलश स्थापना कर पूजा–अर्चना की जाती है.