..तो कैसे बुझेगी प्यास
जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में 1482 चापानल हैं खराबपाकुड़ : बढ़ती गरमी और पानी की किल्लत से जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का जीना मुहाल हो गया है. कुआं व चापानलों का जलस्तर नीचे चले जाने व लंबे समय पहले लगाये गये राइजर पाइप सड़ जाने व मरम्मती के अभाव […]
जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में 1482 चापानल हैं खराब
पाकुड़ : बढ़ती गरमी और पानी की किल्लत से जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का जीना मुहाल हो गया है. कुआं व चापानलों का जलस्तर नीचे चले जाने व लंबे समय पहले लगाये गये राइजर पाइप सड़ जाने व मरम्मती के अभाव में पीने का पानी भी लोगों को नहीं मिल रहा है.
जिले के लिट्टीपाड़ा व अमड़पाड़ा प्रखंड के दुर्गम पहाड़ों पर रह रहे लोगों को झरना व जोरिया के पानी से प्यास बुझाना पड़ रहा है. यदि यही स्थिति आनेवाले दिनों तक यू ही जारी रही तो ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को गंभीर पेयजल संकट से जुझना पड़ेगा. जिले में 11 हजार 812 चापानल लगाये गये है, जिनमें से 1482 चापानल खराब हैं.
प्रखंड में चापानल का हाल
शीघ्र चालू होंगे बंद चापानल
विशेष मरम्मत के अभाव में बंद पड़े चापानलों को चालू करने के लिए बीक्यू तैयार किया गया है और शीघ्र निविदा निकाली जायेगी. साधारण मरम्मती के लिए बंद पड़े चापानलों को ठीक करने का काम किया जा रहा है. यह बातें कार्यपालक अभियंता पेयजल स्वच्छता विभाग शिवजी बैठा ने कही.
– रामप्रसाद सिन्हा –