एक ही जगह दो बार बना तालाब
पाकुड़ : केंद्र सरकार ने मनरेगा को कानून का रूप देकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को रोजगार मुहैया कराने का काम शुरू किया. लेकिन जमीनी स्तर पर देखा जाय तो मनरेगा अंतर्गत होने वाले काम पाकुड़ जिले में लूट-खसोट के अलावे कुछ और साबित नहीं होता है. सदर प्रखंड के पोचाथोल पंचायत अंतर्गत खूंटामारा गांव […]
पाकुड़ : केंद्र सरकार ने मनरेगा को कानून का रूप देकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को रोजगार मुहैया कराने का काम शुरू किया. लेकिन जमीनी स्तर पर देखा जाय तो मनरेगा अंतर्गत होने वाले काम पाकुड़ जिले में लूट-खसोट के अलावे कुछ और साबित नहीं होता है.
सदर प्रखंड के पोचाथोल पंचायत अंतर्गत खूंटामारा गांव में याकूब हेंब्रम की जमीन पर 100/100 का तालाब निर्माण कराया जा रहा है. जिसमें 3 लाख 41 हजार की राशि से तालाब का निर्माण किया जाना है. जबकि 16 हजार रुपये की एमआइएस भी करा दी गई है. जहां पूर्व से ही तालाब खुदा हुआ है. यह तालाब क्या है अपने आप में घपले की पूरी कहानी है.
उस जमीन पर पहले से एक तालाब है वह तालाब भी अपनी खुदाई से ऐसा देखता है कि किसी न किसी योजना मद के पैसे वारा-न्यारा करने के लिए ही खुदा होगा. लेकिन अब तो हद हो गई है कि उसी खुदे तालाब पर मनरेगा योजना अंतर्गत तालाब खुदाया जा रहा है. आश्चर्य तो इस बात है कि एक तो तालाब पर तालाब और दूसरी ओर खुदाई के नाम पर ड्रेसिंग हो रही है. सरकार द्वारा लगाये गये पंचायत सेवक, रोजगार सेवक, कनीय अभियंता, सहायक अभियंता सहित पंचायत के प्रतिनिधि का भी उक्त वारे-न्यारे में भी मौन समर्थन प्राप्त है.
यह बात सिर्फ याकूब हेंब्रम की जमीन खुदने वाली तालाब के साथ नहीं है. बल्कि इस पंचायत में मनरेगा से चलने वाले तमाम रोजगारोन्मुखी एवं विकास की योजनाएं भी लूट-खसोट, विभागीय उदासीनता का शिकार है. अब इससे सहज यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला मुख्यालय में स्थित सदर प्रखंड के पोचाथोल में मनरेगा का यह हाल है तो पूरे जिले की स्थिति क्या हो सकती है.