शिक्षक नहीं, पढ़ाई प्रभावित बदहाली . हाल उत्क्रमित उच्च विद्यालय कालीदासपुर का

सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद भी जिले की शिक्षा व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पा रही है. आज भी पाकुड़ के कई स्कूलों में शिक्षकों की घोर कमी है. इस कारण पठन पाठन का कार्य प्रभावित है. पाकुड़ : केंद्र व झारखंड सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न तरह की योजनाएं चला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 8, 2016 5:34 AM

सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद भी जिले की शिक्षा व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पा रही है. आज भी पाकुड़ के कई स्कूलों में शिक्षकों की घोर कमी है. इस कारण पठन पाठन का कार्य प्रभावित है.

पाकुड़ : केंद्र व झारखंड सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न तरह की योजनाएं चला रही है. यहां तक कि करोड़ों रुपये शिक्षा के नाम पर बहा रही है. वहीं पाकुड़ जैसे शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े जिले के लिए सरकार ने जीवन स्तर उठाने के लिए वन बंधू जैसी महत्वपूर्ण योजना चलाई है. इधर सदर प्रखंड के कालीदासपुर पंचायत अंतर्गत उत्क्रमित उच्च विद्यालय कालीदासपुर में शिक्षा का आलम यह है कि बच्चे बगैर शिक्षक के ही मैट्रिक की परीक्षा देने को मजबूर हैं. वर्ष 2016 में उक्त विद्यालय के 25 छात्रों ने बगैर शिक्षक के ही मैट्रिक की परीक्षा में हिस्सा लिया.
जिसमें मात्र छह छात्र ही कम अंक से उत्तीर्ण हुए. उल्लेखनीय है कि आदिवासी बाहुल क्षेत्र में मात्र एक ही विद्यालय है. वर्ष 2011 में सरकार ने मध्य विद्यालय को उत्क्रमित उच्च विद्यालय का दर्जा दिया. परंतु चार वर्ष बित जाने के बाद भी न तो जिला प्रशासन और न ही शिक्षा विभाग ने एक भी शिक्षक का पदस्थापन नहीं किया. हालांकि बीते कुछ माह पूर्व वर्ग 6-8 तक के छात्रों के लिए एकाध शिक्षक का पदस्थापन किया गया है.
मैट्रिक में कई विषयों में छात्रों को मिले एक नंबर : स्कूल से मिली जानकारी के अनुसार मैट्रिक के परीक्षा में 25 छात्र परीक्षा में शामिल हुए थे. जिसमें 6 छात्र कम अंक से उत्तीर्ण हुए. वहीं शेष छात्रों को विज्ञान, गणित एवं हिंदी विषय में मात्र 1-1 नंबर ही मिले हैं जो चर्चा का विषय बना हुआ है. आखिर आदिवासी बाहुल क्षेत्र होने के बाद भी उच्च विद्यालय के लिए एक भी शिक्षक का पदस्थापन क्यों नहीं किया जा रहा है. शिक्षा विभाग अपनी मंशा को आम जनता के सामने उजागर करें.

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