पतना के तत्कालीन बीडीओ मुकेश कुमार व बीपीओ होंगे गिरफ्तार

वर्तमान में ओरमांझी में हैं पदस्थापित मनरेगा योजना में अनियमितता को लेकर आयुक्त ने जांच के बाद दिया आदेश पतना : मनरेगा घोटाला की जांच में मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने तत्कालीन बीडीओ पतना व वर्तमान बीडीओ ओरमांझी मुकेश कुमार व तत्कालीन मनरेगा बीपीओ महादेव मुर्मू की संलिप्तता पायी है. रांगा थाना में दर्ज कांड […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 22, 2016 5:57 AM

वर्तमान में ओरमांझी में हैं पदस्थापित

मनरेगा योजना में अनियमितता को लेकर आयुक्त ने जांच के बाद दिया आदेश
पतना : मनरेगा घोटाला की जांच में मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने तत्कालीन बीडीओ पतना व वर्तमान बीडीओ ओरमांझी मुकेश कुमार व तत्कालीन मनरेगा बीपीओ महादेव मुर्मू की संलिप्तता पायी है. रांगा थाना में दर्ज कांड संख्या 45/16 में बीडीओ व बीपीओ का भी उक्त प्राथमिकी में नाम शामिल करने की अनुशंसा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने की है. जानकारी के अनुसार पतना प्रखंड क्षेत्र के केंदुआ व विजयपुर में डोभा निर्माण, अनिल हांसदा व जमाई की जमीन पर पोखर निर्माण, खरिया हेंब्रम, कुंवर हेंब्रम व चरण टुडू की जमीन पर डोभा निर्माण योजना में मजदूरों के भुगतान में अनियमितता बरती गयी थी.
जिसके बाद तत्कालीन बीडीओ मुकेश कुमार ने रांगा थाना में आवेदन देकर पंचायत सेवक सुधीर साहा, जेइ पवन दास, मुखिया मारगेट मरांडी, रोजगार सेवक लालचन साहा, बिचौलिया इस्लाम शेख, मेट नकीरूद्दीन, दिलीप साहा, मांझी हांसदा, सेराजुल अंसारी व पतना डाककर्मी के विरुद्ध राशि गबन करने का मामला दर्ज कराया था. जिसके बाद सभी ने मिलकर 6 लाख 82 हजार 382 रुपये विभाग के पास जमा किया था. जून के बाद मनरेगा आयुक्त मामले की जांच करने पतना पहुंचे. आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि योजना की स्वीकृति व देख-रेख बीडीओ व बीपीओ द्वारा की जाती है. इससे साफ होता है कि उनकी भी मिलीभगत है. आयुक्त ने रांगा थाना को लिखित आदेश देकर तत्कालीन बीडीओ मुकेश कुमार व बीपीओ महादेव मुर्मू की गिरफ्तारी का आदेश दिया है. इधर रांगा थाना प्रभारी प्रदीप कुमार दास ने कहा कि एसडीपीओ का लिखित आदेश प्राप्त हुआ है. बीडीओ व बीपीओ के नाम प्राथमिकी में दर्ज कर गिरफ्तारी के लिये छापेमारी की जा रही है.
कहीं फ्लॉप न हो जाय जलापूर्ति योजना
लापरवाही. पांच वर्षों बाद भी नहीं मिला योजना का लाभ, अब टूटने लगी आस
50.64 करोड़ की योजना से प्रति व्यक्ति 135 लीटर जल उपलब्ध कराने का है लक्ष्य
दो बार एक्सटेंशन डेडलाइन पार कर चुकी है कंपनी
इमरान
अर्सेनिक, फ्लोराइड व आयरनयुक्त जल से यहां के लोगाें को मुक्ति दिलाने और घर-घर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यहां 2012 में शहरी जलापूर्ति की शुरुआत की थी. लेकिन चार वर्षों के बाद भी योजना धरातल पर नहीं उतर पायी. 50 करोड़ 64 लाख की इस योजना से प्रति व्यक्ति 135 लीटर जल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था परंतु अभी तक जनता को इस योजना से एक बूंद पानी भी नसीब नहीं हो सका है.
शुरू से ही विवादों में रही योजना : नगर विकास विभाग ने सर्वप्रथम शहरी जलापूर्ति के लिये नगर परिषद को 2,29,0000 रुपये की राशि उपलब्ध करायी थी. जो वर्षों तक नगर परिषद में ही पड़ी रही. सामाजिक कार्यकर्ता सिधेश्वर मंडल ने इसको लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दर्ज करायी थी. इसके बाद इस योजना मद की राशि बढ़ाकर 50,64,24000 कर दी गयी. साथ ही कार्य संचालन के लिये पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को अधिकृति कर दिया गया. उक्त योजना का टेंडर हैदराबाद की डोशियन वीयोलिया वाटर सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को मिला. काम जारी रहा लेकिन योजना समाप्ति की निर्धारित तिथि पर कंपनी काम पूरा नहीं कर सकी. बाद में कंपनी ने मार्च 2014 में एक्सटेंशन डेडलाइन भी पार कर दी. इसके बाद दोबारा जुलाई 2016 तक के एक्सटेंशन पर भी काम पूरा नहीं कर सकी कंपनी.
हैदराबाद कंपनी को सौंपा गया है काम
शहरी जलापूर्ति का बना टंकी.
गिरा पडा पाइप लाइन. फोटो । प्रभात खबर
कंपनी पर होगी कार्रवाई
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता अनिल प्रसाद ने बताया कि शहरी जलापूर्ति योजना का काम लगभग 77 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है. बाकि काम कंपनी बंद कर दिया है. कंपनी के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्णय लिया जा चुका है.कार्य के एवज में 10 प्रतिशत की कटौती की जा रही है.
हाईकोर्ट में जनहित याचिक भी है दायर
समाजसेवी सिधेश्वर मंडल ने वर्ष 2008 में हाईकोर्ट में डब्ल्यूपी पीआइएल दायर किया. जिसमें हाई कोर्ट ने साहिबगंज के उपायुक्त को निर्देश जारी कर शहरवासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. परंतु कार्य प्रारंभ नहीं हुआ तो पुन: वर्ष 2009 में हाईकोर्ट में डब्ल्यूपी पीआइएल दायर किया गया. तत्पश्चात सरकार ने मामला को गंभीरता से लेते हुए उक्त योजना के आलोक में 50,64,24000 की राशि बढ़ा कर टेंडर कर दिया.
– सिधेश्वर मंडल
77 फीसदी काम पूरा
शहरी जलापूर्ति योजना का काम कर रही कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर डी बासु ने बताया कि हमारी कंपनी द्वारा 77 प्रतिशत कार्य पूर्ण कर लिया गया है. कुछ काम बाकी है. 30 मार्च 2017 तक कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा.
सरकार से हुई है बात
राजमहल विधानसभा क्षेत्र के विधायक अनंत ओझा ने कहा कि शहरी जलापूर्ति योजना को लेकर मामला को विधानसभा में भी उठाया है. 20 दिसंबर को सरकार के राज्य सचिव पर इस मामले को लेकर बात हुई. सरकार ने आश्वस्त किया है कि बहुत जल्द शहरवासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा दी जायेगी.
कहते हैं सांसद
सांसद विजय हांसदा ने बताया कि साहिबगंज व पाकुड़ पेयजल शहरी जलापूर्ति योजना वर्ष 2011 में यूपीए की सरकार में योजना स्वीकृत की गयी थी. सरकार टेंडर भी करायी और काम भी शुरू कराया. परंतु सरकार बदला मिजाज बदला, अटक गया काम.

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