महाकाल मंदिर में मां दुर्गा की 1008 भुजा वाले प्रतिमा है स्थापित, 22 वर्षों से होती है पूजा
सदर प्रखंड के हीरानंदनपुर पंचायत अंतर्गत तलवाडंगा स्थित महाकाल मंदिर में 22 वर्षों से मां दुर्गा की पूजा की जा रही है.
पाकुड़. सदर प्रखंड के हीरानंदनपुर पंचायत अंतर्गत तलवाडंगा स्थित महाकाल मंदिर में 22 वर्षों से मां दुर्गा की पूजा की जा रही है. पूजा की परंपरा आज भी बरकरार है. यहां की मान्यता है कि जो श्रद्धालु सच्चे मन से मां के दरबार में माथा टेकते हैं उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है. इसे लेकर आसपास के क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में मांग दुर्गा के दर्शन के लिए आते हैं. शक्तिपीठ में शक्ति मां दुर्गा की 1008 भुजा वाली प्रतिमा स्थापित है. जानकारी के अनुसार मंदिर की स्थापना वर्ष 1977 में स्वामी सिद्धार्थ परमहंस जी महाराज ने कराई थी. दुर्गा पूजा वर्ष 1998 से शुरू की गयी. सर्वप्रथम शक्तिपीठ में मां की 10 भुजा वाली प्रतिमा से पूजा शुरू हुई थी. इसके बाद मां की 18 भुज की प्रतिमा का निर्माण कराया गया. फिर कुछ वर्ष बाद 54 भुज और 2007 में 108 भुजा वाले मां जगदंबा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाने लगी. वर्ष 2008 में मां दुर्गा की 1008 भुजा वाले प्रतिमा को स्थापित सिद्धार्थ परमहंस जी महाराज ने कराई. प्रतिमा की लंबाई 17 फिट है. प्रतिमा का निर्माण ओडिशा के मूर्तिकार ने किया था. शक्तिपीठ में स्थानीय पुरोहितों की ओर से वैदिक मंत्रोच्चारण कर के साथ प्रतिदिन मां दुर्गा की भव्य तरीके से पूजा अर्चना की जाती है. मंदिर समिति के अध्यक्ष योगेंद्र ठाकुर ने बताया कि पूजा की सारी तैयारी पूर्ण कर ली गयी है. मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है. यहां पर 1008 भुजाएं वाली मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित है. नवरात्र में वैदिक रीति रिवाज से पूजा की जाती है. नित्य प्रतिदिन यहां पर संध्या के समय भव्य तरीके से आरती होती है. आरती में महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल होती हैं. मंदिर के आसपास का वातावरण मां दुर्गा की आरती से गुंजायमान रहता है. महाकाल शक्तिपीठ मंदिर भारत में दो स्थानों पर हैं. पहला उज्जैन मध्य प्रदेश और दूसरा झारखंड के पाकुड़ जिले में है. शक्तिपीठ में मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ-साथ अन्य देवी देवताओं की भी प्रतिमाएं स्थापित है.
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