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आलमगीर आलम ने पार्ट्स की दुकान से शुरू किया था सफर, राजनीति में आने के बाद बुलंदियों पर पहुंचे

आलमगीर आलम ने राजनीति में आने से पहले पार्ट्स की दुकान खोली थी. बाद में वह राजनीति में आए और नई ऊंचाइयों तक पहुंचे. बिहार और झारखंड में मंत्री बने.

पाकुड़, रमेश भगत : पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक आलमगीर आलम ना सिर्फ झारखंड सरकार के कद्दावर मंत्री हैं, बल्कि अपने इलाके में गहरी पैठ रखते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव (2019) में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 63,108 मतों से हराकर जीत हासिल की थी. यह उनकी पाकुड़ विधानसभा से चौथी जीत थी. इस जीत के साथ ही आलमगीर आलम ने अपनी कद्दावर छवि को जनता के सामने रखा और वे झारखंड सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री बनाये गये.

आलमगीर आलम को मिला हाजी ऐनुल हक की राजनीतिक विरासत

पाकुड़ विधानसभा में आलमगीर आलम का राजनीतिक सफर उनके चाचा और कांग्रेस के कद्दावर नेता हाजी मोहम्मद ऐनुल हक के निधन से शुरू होता है. हाजी मोहम्मद ऐनुल हक बिहार सरकार के कद्दावर मंत्री थे. इलाके के बड़े कांग्रेसी नेता भी थे. उनके निधन के बाद उनकी राजनीतिक विरासत व्यवहार कुशल आलमगीर आलम को सौंपी गई. आलमगीर आलम ने पहली बार 1995 में कांग्रेस के टिकट पर पाकुड़ विधानसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा प्रत्य़ाशी वेणी प्रसाद गुप्ता से हार गये.

साल 2000 में बने पहली बार विधायक

वर्ष 2000 में उन्होंने फिर अपना दमखम लगाया. भाजपा प्रत्याशी बेणी प्रसाद गुप्ता को पटखनी देते हुए पहली बार विधायक बने. उन्हें 49,218 मत मिला, जबकि भाजपा प्रत्याशी बेणी प्रसाद गुप्ता को 35,033 मत ही मिले. पहली बार विधायक बनते ही आलमगीर आलम को अविभाजित बिहार में राबड़ी देवी की सरकार में हस्तकरघा विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया. वे मात्र 6 माह तक मंत्री रहे. फिर 15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य बना और यहां भाजपा की सरकार बन गयी.

दूसरी जीत के बाद बनाये गये विधानसभा अध्यक्ष

वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में आलमगीर आलम ने फिर जीत हासिल की. उन्होंने 71,736 वोट हासिल किये. वहीं भाजपा प्रत्याशी बेणी प्रसाद गुप्ता को 46,000 मत मिले. दूसरी जीत हासिल करने के बाद वे मधु कोड़ा की सरकार में विधानसभा अध्यक्ष बनाये गये.

झामुमो प्रत्याशी अकील अख्तर ने दी आलमगीर को पटखनी

वर्ष 2009 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के प्रत्याशी अकील अख्तर ने आलमगीर आलम को चुनावी में पटखनी दे दी. इस चुनाव में अकील अख्तर ने 62,246 वोट हासिल किये. वहीं कांग्रेस के आलमगीर आलम को 56,570 मत मिले. भाजपा प्रत्याशी संजीव कुमार 29,748 वोट ही हासिल कर सके. इस चुनाव में 72.63 फीसदी मतदान हुआ था.

साल 2014 में मतदाताओं को साधने में सफल रहे आलमगीर

वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में आलमगीर आलम इलाके के मतदाताओं को साधने में सफल रहे. उन्होंने 83,338 वोट हासिल किया. झामुमो प्रत्याशी अकील अख्तर 65,272 मत ही प्राप्त कर सके. आलमगीर आलम 18,066 वोट से जीत जीते और कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने गये.

रिकॉर्ड 63,108 मतों से हासिल की चौथी जीत

वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता आलमगीर आलम ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की. एनआरसी और सीएए के चर्चा के बीच पाकुड़ विधानसभा में कांग्रेस और झामुमो ने संयुक्त रूप से चुनाव लड़ा और भाजपा और आजसू में विवाद होने के बाद दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा. इस चुनाव में आलमगीर आलम ने 1,28,218 वोट हासिल किये. वहीं भाजपा प्रत्याशी बेणी प्रसाद गुप्ता 65,110 और आजसू प्रत्याशी अकील अख्तर 39,444 वोट हासिल किया. आलमगीर आलम ने इस चुनाव में 63,108 मतों से जीत हासिल की. आलमगीर आलम ग्रामीण विकास मंत्री और संसदीय कार्य मंत्री बनाये गये.

राजनीति में आने से पहले आलमगीर आलम ने खोली थी पार्ट्स की दुकान

आलमगीर आलम के राजनीतिक जीवन की शुरुआत के पहले उन्होंने खुद का व्यवसाय करना चाहा था. उन्होंने अपने शुरुआती जीवन में बरहरवा बाजार में पार्ट्स की दुकान खोली थी. फिर उन्होंने वर्ष 1978 में अपनी पंचायत महाराजपुर से सरपंच का चुनाव जीता. इस जीत ने आलमगीर आलम की किस्मत बदल दी. फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और राजनीतिक बुलंदियों की ओर बढ़ते चले गए.

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