Loading election data...

टॉप बॉक्स … अमड़ापाड़ा की सुहागनी कभी बेचती थी शराब, अब बकरीपालन कर बनी आत्मनिर्भर, बेटी का कराया विवाह

जिले के अमड़ापाड़ा प्रखंड क्षेत्र के अमड़ापाड़ा संथाली गांव की सुहागनी मुर्मू कभी हड़िया व दारू बेचने का काम करती थी. पर अब उसने हड़िया व दारू बेचने का काम छोड़ दिया है. वह पशुपालन कर आत्मनिर्भर बन रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 16, 2024 6:29 PM

नगर प्रतिनिधि, पाकुड़.

जिले के अमड़ापाड़ा प्रखंड क्षेत्र के अमड़ापाड़ा संथाली गांव की सुहागनी मुर्मू कभी हड़िया व दारू बेचने का काम करती थी. पर अब उसने हड़िया व दारू बेचने का काम छोड़ दिया है. वह पशुपालन कर आत्मनिर्भर बन रही है. सुहागनी मुर्मू बताती है कि रोजगार का साधन नहीं होने के कारण वह घर पर हड़िया व दारू बनाकर हाट-बाजारों में बेचने का काम दो साल पूर्व से कर रही थी. आमदनी के नाम पर थोड़े-बहुत पैसे तो मिल जाते थे, पर इज्जत मिलना मुश्किल था. वहीं घर पर हड़िया व दारू बनाने के कारण पति को भी शराब की लत लगती जा रही थी. घर पर रोजाना पति-पत्नी में भी झगड़े होते थे. घर पर झगड़ा होने के कारण बच्चे भी परेशान रह रहे थे. साथ ही आर्थिक स्थिति बद से बदतर होते जा रही थी. इन सब चीजों से बाहर निकलना चाह रही थी. पर आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण अन्य काम भी नहीं कर पा रही थी. जैसे मौका मिला इन सब चीजों से दूरी बनाते हुए पशुपालन का कार्य शुरू कर दिया है. बताया कि इसमें मुझे अच्छी आमदनी हो रही है. पशुपालन कर ही अपनी बेटी की शादी मई 2024 में करायी है.

2022 में फूलो झानो आशीर्वाद योजना से जुड़ी सुहागनी :

सुहागनी बताती है कि गांव में समूह का गठन किया जा रहा था. इस दौरान कुछ महिलाओं ने उसे समूह में जुड़ने की सलाह दी. वह महिलाओं की सलाह मानते हुए जुड़ गई. जेएसएलपीएस द्वारा उसे पशुपालन का प्रशिक्षण दिलवाया गया. 30 जनवरी 2022 को फूलो झानो आशीर्वाद योजना के तहत पशुपालन के लिए उसे 10 हजार रुपये दिए गए. उक्त पैसे से उसने तीन बकरियां खरीदी. बकरियों का पालन-पोषण करते हुए धीरे-धीरे बकरियों में बढ़ोतरी होने लगी. घर से ही उसने बकरी बेचने का काम शुरू किया, जिससे उसे अच्छी आमदनी होने लगी है.

40 से 50 हजार रुपये कमा रही है सालाना :

सुहागनी ने बताया कि तीन बकरियों से उन्होंने 19 बकरियां की है. बकरियां बेच कर वह सालाना 40 से 50 हजार रुपये घर बैठे ही कमा रही है. जेएसएलपीएस के ब्लाॅक लीड राजेश महतो उन्हें सहयोग कर रहे हैं. समय-समय पर सलाह उनके द्वारा दी जाती है, जिसका वह पालन कर आगे बढ़ रही है. वहीं जेएसएलपीएस के ब्लाॅक लीड राजेश महतो ने बताया कि समूह की महिलाओं को हर संभव मदद किया जाता है. सप्ताह में उनसे मिलकर उनकी परेशानी को सुनकर समाधान का प्रयास किया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version