हिरणपुर. झामुमो से टिकट न मिलने पर पार्टी से नाराज चल रहे लिट्टीपाड़ा के निवर्तमान विधायक दिनेश मरांडी शुक्रवार को हिरणपुर स्थित आवास में पत्रकारों से रूबरू हुए. उन्होंने कहा कि मैं हमेशा से मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन सहित पार्टी के लिए वफादार सिपाही रहा हूं. इसके बाद भी पार्टी ने टिकट न देकर बाहरी व्यक्ति को टिकट दे दिया, जो मेरे साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी हुई है. विधायक ने कहा कि वर्ष 1980 में मेरे पिताजी साइमन मराण्डी की सक्रिय भागीदारी से झामुमो का गठन हुआ था. उस वक्त पिताजी एकमात्र निर्दलीय विधायक थे. रामगढ़ नेमरा गांव से गुरुजी को संथाल क्षेत्र में लाकर पहचान दिलायी थी. दोनों के अलावा अन्य लोगों ने मिलकर पार्टी को मजबूत करने में कठिन संघर्ष किया, पर आज पार्टी नेतृत्व के आसपास बाहरी तत्वों का जमावड़ा हो गया है. जो मनमाने ढंग से कार्य कर रहा है. ऐसे लोग जिसे पार्टी से कोई नाता नहीं रहा है. पार्टी ने टिकट नहीं देने का कारण मुझे नहीं बताया है. उन्होंने कहा कि उधर बीते लोकसभा चुनाव में पार्टी विरोधी कार्य को लेकर छह वर्ष के लिए निलंबित चमरा लिंडा को पुनः विशनपुर से टिकट दे दिया गया. आखिर ये दोहरा मापदंड क्यों? मेरा टिकट कटवाने में बरहेट के विधायक प्रतिनिधि की अहम भूमिका रही है. जेल में रहने के दौरान उससे भेंट नहीं की. आखिर अनुशासनहीनता किसने की है. बोरियो से धनंजय सोरेन को पार्टी प्रत्याशी बनाया गया है, जो बरहेट विधायक प्रतिनिधि के मामले में गवाह बना था. जिसे टिकट देकर सम्मान दिया गया. हम पार्टी के समर्पित सिपाही रहे हैं. हेमन्त सोरेन के लिए जान न्योछावर है. पर आखिर मुझे टिकट से वंचित कर क्या संदेश देना चाह रहे हैं? उन्होंने कहा कि विगत लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशी के लिए अपनी धर्मपत्नी के साथ कल्पना सोरेन के मंच से पार्टी के लिए लोगों से वोट मांगा था.
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