इस सीट पर 44 सालों से JMM कर रही राज, जहां कभी नहीं खिला कमल
Littipara Vidhan Sabha : लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट पर आज तक बीजेपी को सफलता नहीं मिली है. इस सीट पर 1980 से लगातार झामुमो अपना परचम बुलंद किये हुए है.
Littipara Vidhan Sabha, रमेश भगत(पाकुड़) : लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र झामुमो का अभेद किला माना जाता है. साल 1980 में झामुमो ने पहली बार लिट्टीपाड़ा से जीत दर्ज की थी. उसके बाद से अब तक लिट्टीपाड़ा विधानसभा में झामुमो का ही झंडा बुलंद रहा है. इस विधानसभा सीट पर झामुमो और भाजपा में ही सीधी टक्कर होती है लेकिन अब तक भाजपा झामुमो को पीछे नहीं छोड़ पायी है.
एक समय झारखंड पार्टी का रहा वर्चस्व
लिट्टीपाड़ा सीट पर साल 1952, 1957 और 1962 के विधानसभा चुनाव में झारखंड पार्टी का कब्जा रहा. झारखंड पार्टी के नेता रामचरण किस्कू तीनों बार विधायक रहे. उसके बाद साल 1967 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी बी मुर्मू ने रामचरण किस्कू को पीछे छोड़ दिया. बी मुर्मू को पीछे छोड़ बिहार प्रांत हूल झारखंड के नेता सोम मुर्मू ने लगातार 1969 और 1972 के चुनाव में जीत दर्ज की.
1977 के चुनाव में साइमन मरांडी ने निर्दलीय दर्ज की जीत
लिट्टीपाड़ा विधानसभा में ऐतिहासिक मोड़ साल 1977 में तब आया जब लिट्टीपाड़ा प्रखंड के डुमरिया गांव से निकलकर साइमन मरांडी ने पहली बार विधानसभा में अपनी दावेदारी पेश की. उन्होंने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीत दर्ज की. उसके बाद संताल परगना में झामुमो सुप्रीमो गुरुजी की गूंज सुनाई देने लगी.
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1980 में साइमन मरांडी ने जेएमएम का थामा दामन
साइमन मरांडी लिट्टीपाड़ा विधानसभा से साल 1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत दर्ज की. तब से लेकर आज तक इस विधानसभा क्षेत्र में साइमन मरांडी के परिवार का दबदबा है. वर्तमान में साइमन मरांडी के बेटे दिनेश मरांडी झामुमो पार्टी से विधायक हैं.
2014 में अनिल मुर्मू ने मारी बाजी
2014 के चुनाव में अनिल मुर्मू झामुमो की टिकट पर चुनाव लड़े और जीते. लेकिन उसके बाद के उपचुनाव में फिर से साइमन परिवार का इस सीट पर दबदबा बन गया. इस विधानसभा सीट से साइमन मरांडी पांच बार विधायक बने. वहीं उनकी पत्नी सुशीला हांसदा चार बार विधायक रहीं और साल 2019 के विधानसभा चुनाव में साइमन मरांडी के बेटे दिनेश विलियम मरांडी विधायक बने.
2019 में बीजेपी ने लगाया पूरा जोर लेकिन नहीं मिली कामयाबी
वर्तमान में भाजपा ही एक ऐसी पार्टी है, जो इस सीट पर झामुमो को चुनौती देती हुई दिखती है लेकिन अब तक उसे सफलता हाथ नहीं लगी है. साल 2019 के चुनाव में भाजपा के स्टार प्रचारक अमित शाह, राजनाथ सिंह, रघुवर दास सहित अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों ने लिट्टीपाड़ा विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी दानियल किस्कू के लिए चुनाव प्रचार किया था लेकिन वे 13,903 वोट से पराजित हो गये. वहीं साल 2017 के उपचुनाव में झामुमो प्रत्याशी साइमन मरांडी ने भाजपा प्रत्याशी हेमलाल मुर्मू को 12,900 वोट से पराजित किया था.
झामुमो में भीतरघात का भाजपा को मिल सकता है फायदा
लिट्टीपाड़ा विधानसभा पूरे राज्य में चर्चा के केंद्र में है. इस विधानसभा से झामुमो ने सीटिंग विधायक दिनेश मरांडी का टिकट काटकर सबको चौंका दिया है. दिनेश मरांडी झामुमो के कद्दावर नेता रहे दिवंगत साइमन मरांडी के बेटे हैं. झामुमो ने दिनेश मरांडी की जगह भाजपा से झामुमो में आये हेमलाल मुर्मू को अपना प्रत्याशी बनाया है. इससे एक ओर जहां दिनेश मरांडी के समर्थकों में नाराजगी है वहीं खुद दिनेश मरांडी भी झामुमो नेतृत्व से सवाल पर सवाल कर रहे हैं.
बीजेपी ने पूर्व जिला परिषद बाबुधन मुर्मू पर लगाया दांव
भाजपा ने नये प्रत्याशी के रूप में पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष बाबुधन मुर्मू को अपना प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में क्षेत्र में चर्चा जोरों पर है कि सीटिंग विधायक का टिकट काटे जाने और उनके पार्टी से नाराज रहने के कारण भाजपा इस विधानसभा में क्या गुल खिलाती है. हालांकि चौक-चौराहों में यह चर्चा आम है कि सीटिंग विधायक की नाराजगी कहीं झामुमो पर भारी न पड़ जाये. लोग कह रहे हैं कि भीतरघात का फायदा इस बार भाजपा को मिल सकता है. समीकरण झामुमो के खिलाफ रहा तो इस बार लिट्टीपाड़ा में कमल खिलेगा. अब देखना है कि भाजपा इस भीतरघात का कितना फायदा उठा पाती है.