पाकुड़, रमेश भगत: संथाल परगना में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ती जा रही है. एक जून को संथाल परगना के राजमहल, दुमका और गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में मतदान होना है. संथाल जनजाति बहुल इस इलाके के मतदाता मतदान को लेकर हमेशा से सजग रहे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में राजमहल लोकसभा क्षेत्र में 74 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था जो कि राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. ऐसे में समझा जा सकता है कि लोगों में मतदान को लेकर काफी उत्साह है.
वोट करना सबसे जरूरी
संथाल जनजाति बहुल गांव अमरापाड़ा संथाली में प्रभात खबर के संवाददाता रमेश भगत इलाके के वोटरों से उनकी राय जानने पहुंचे. गांव के लोगों का कहना है कि वोट करना सबसे जरूरी है. हम वोट नहीं करेंगे तो हमें अच्छा जनप्रतिनिधि नहीं मिल पाएगा. अच्छा जनप्रतिनिधि चुनने के लिए वोट करना बहुत जरूरी है.
गांव-घर में बन गई सड़क
अमरापाड़ा संथाली गांव के रसिक टोला के लोगों का कहना है कि अमरापाड़ा बाजार से सटा होने के बावजूद हमारा गांव काफी पिछड़ा रहता था लेकिन अब हमारे गांव-घर में सड़क बन गई है. गांव में बिजली भी ठीक रहती है. स्कूल और अस्पताल होने के कारण बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ता है. लेकिन सबसे जरूरी जो चीज है वो हमारी जमीन, हमारा पहाड़ है, जब ये नहीं रहेंगे तो हम लोगों का भी अस्तित्व नहीं रह पाएगा.
अच्छे प्रतिनिधि के लिए वोट करना जरूरी
रसिक टोला के चार्लेस मरांडी संथाली भाषा में बताते हैं कि आले दो नोंडे वोट दो दोहोयेया जोतो होड़. आले ठे सोड़ोक कु बिनाव कान तिया. आले दो वोट इमाविया ओकोय आले दो लाहा से येल कीदा आरहों लहा से भविष्य दो येलआ. आले दो चासा बासा होड़ काना. ओकोए आले से जागा – जमीन रखिए दोहोएया उनी से गी आले दो वोट अमूयिया. उनका कहना है कि वोट बहुत जरूरी है. हम लोग खेती-किसानी करने वाले लोग हैं. जो नेता हमारे जमीन जंगल को बचाने का काम करेंगे उसे ही हम वोट करेंगे. हमारे गांव में सड़क भी बन गयी बाकी सुविधाएं भी हैं. ऐसे में हमें वोट करना बहुत जरूरी है, ताकि हम अपने लिए अच्छा जनप्रतिनिधि चुन सके.
जगह-जमीन बचानेवाले को करेंगे वोट
रसिक टोला के बुधिसन हांसदा संथाली भाषा में बताते हैं कि आले आतु रे दो रोड कु बिनाव कीदा. आले रेन दो जागा जमीन कु हो चबाए काना उना ते ओकाए दो आले रेन होड़ होपोन कु येल आ उनि से गी आले दो वोट अमूयिया. वे कहते हैं कि हमारे गांव में सड़क बन गई है. समस्या यह है कि हमारी जगह-जमीन खत्म हो रही है. जो हमारी जगह-जमीन बचाएगा, जो हमारे बच्चों के लिए भी सोचेगा उसे ही हम वोट करेंगे.
जो हमारे बारे में सोचेगा उसे करेंगे वोट
रसिक टोला के डेविड हेंब्रम संथाली भाषा में बताते हैं कि आबुआ जंगल बुरु दो चबाए काना, उना दो जेमोन बांचाव ताबुन आदो ओकोये उना बांचाव आ ऊनी ते आबू वोट अमुईया. ओकॉय सरकार बिनावा इंग दो बांग बडाया. ओकोए दो आलेया कमी येल आ उनीे ठे गी आले दो वोट अमुईया. वे कहते हैं कि हमारा जल जंगल खत्म हो रहा है. उसे बचाना बहुत जरूरी है. जो इसे बचाने का काम करेगा, उसे ही हम वोट करेंगे. कौन सरकार बनाएगा हम नहीं जानते हैं लेकिन जो हमारे बारे में सोचेगा उसे ही हम वोट करेंगे.
जंगल-जमीन बचानेवाले को करेंगे वोट
इसी तरह रसिक टोला के मानवेल मुर्मू कहते हैं कि नित बुन वोट आ. आबू लेगी ओकोए नेता कमी आ उनी गी आले दो वोट आ. आबू लेगी, आबू गिदरे लेगी ओकोए नेता कमी आ, जल जंगल जमीन बांचाव लेगी ओकोये कमी आ, उनी गी आले दो वोट आ. वे कहते हैं कि हम जरूर वोट करेंगे. जो नेता हमारे लिए काम करेगा, जो हमारे बच्चों के लिए काम करेगा. जो हमारे जल जंगल जमीन को बचाने के लिए काम करेगा, उसे ही हम वोट देंगे.