ससुराल के लोगों को कभी भी धन के लिए बहुओं को नहीं करना चाहिए प्रताड़ित : उमेश शास्त्री

जीवन में सच्चा मित्र वही है, जो कि विपत्ति में साथ दे. मनुष्य को श्रीकृष्ण-सुदामा जैसी मित्रता करनी चाहिए और भक्ति नरसी जैसी करनी चाहिए.

By Prabhat Khabar News Desk | May 3, 2024 9:05 PM

पाकुड़. नानी बाई रो मायरो कथा के दूसरे दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. कार्यक्रम की शुरुआत बांसुरी वादन के साथ जय श्री राधे गान के साथ हुआ. दूसरे दिन कथावाचक उमेश शास्त्री ने नरसी मेहता व श्रीकृष्ण के बीच हुए रोचक संवाद को प्रस्तुत किया. कार्यक्रम में मायरा भरने स्वयं श्रीहरि द्वारा उपस्थित होकर अपने भक्त की लाज रखने और करोड़ों रुपए का मायरा भरने की कथा का संगीतमय वर्णन किया. श्री शास्त्री ने कहा कि जीवन में सच्चा मित्र वही है, जो कि विपत्ति में साथ दे. मनुष्य को श्रीकृष्ण-सुदामा जैसी मित्रता करनी चाहिए और भक्ति नरसी जैसी करनी चाहिए. नरसी मेहता में भगवान के प्रति सहयोग व समर्पण की भावना थी. भगवान ने उन्हें इतना धन दिया कि 12 पीढ़ी तक चल सके. लेकिन वह भी उन्होंने 12 महीने में खर्च कर दिया. प्रभु हर विपत्ति में सच्चा साथ निभाते हुए भक्त का मान रखते हैं. कहा कि घर में कितनी भी बहुएं हों, कोई अपने पीहर से कितना भी लाए, मगर ससुराल के लोगों को कभी भी धन के लिए किसी को प्रताडि़त नहीं करना चाहिए. क्योंकि हर किसी की आर्थिक स्थिति एक-सी नहीं होती है. जीवन के अंत समय को इंसान को हमेशा याद रखना चाहिए. कथा सेवा, सहयोग और समर्पण की सीख देती है.

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