रेलवे परिसर में चप्पे-चप्पे पर लगे हैं नाइट विजन कैमरे, मनचलों पर रखी जा रही नजर
रेलवे स्टेशन पर अब अपराध करके बचना अपराधियों के लिए मुश्किल होगा. ऐसा इसलिए की रेलवे स्टेशन परिसर में वर्तमान में 38 नाइट विजन कैमरे सुचारू रूप से चालू है.
पाकुड़. रेलवे स्टेशन पर अब अपराध करके बचना अपराधियों के लिए मुश्किल होगा. ऐसा इसलिए की रेलवे स्टेशन परिसर में वर्तमान में 38 नाइट विजन कैमरे सुचारू रूप से चालू है. रेल प्रशासन की ओर से रेलवे स्टेशन परिसर में जगह-जगह पर कैमरे इंस्टॉल किए गये हैं. यह निकास द्वार, लिफ्ट, फुट ओवरब्रिज, यात्री शेड आदि जगहों में लगाये गये हैं. स्टेशन में लगे आधुनिक कैमरे अपराधियों को पहचानने में सक्षम होंगे. रेल अफसरों के मुताबिक इन कैमरों की मदद से स्टेशन परिसर में घूमने वाले अपराधियों को कैमरा आसानी से पहचान लेगी. इसकी निशानदेही पर कंट्रोल रूम में बैठे रेलवे सुरक्षा बल के जवान अपराधी के लोकेशन के अनुसार धर पकड़ कर सकगें. कैमरे की खासियत यह है कि इससे अंधेरे में भी ली गयी तस्वीरों में चेहरा स्पष्ट नजर आता है. इसका रेंज लगभग 500 सौ मीटर है. कैमरे का निगरानी रूम आरपीएफ कार्यालय को बनाया गया है. इसे मुख्यालय डिवीजन से भी जोड़ा गया है. कैमरे के सफल संचालन को लेकर हर 8 घंटे की शिफ्ट तैयार की गयी है. आरपीएफ के जवानों को प्रतिनियुक्ति किया गया है. स्टेशन पर ज्यादातर देर तक बैठने वाले लोगों पर कंट्रोल रूम से ही निगरानी की जाती है. ज्यादातर समय तक स्टेशन पर काटने वाले लोगों से भी पूछताछ की जाती है. उन्हें फटकार भी लगाई जाती है. आरपीएफ इंस्पेक्टर कुलदीप यादव ने बताया कि कैमरा लगने से फायदा यह है कि स्टेशन परिसर में ज्यादा देर तक बैठने वाले लोगों को कैमरा ड्यूटी में तैनात आरपीएफ की ओर से निगरानी की जाती है. वहीं उनसे पूछताछ की जाती है. पुलिस सादे लिबास में भी इस प्रकार के लोगों तक पहुंचती है. वहीं अनावश्यक बैठने वाले लोगों को फटकार लगाया जाता है. कैमरे लगने से रेलवे परिसर में घूमने वाले मनचलों में कमी आयी है. स्टेशन के परिसर में 38 कैमरे सुचारू रूप से चालू है. यह कमरे गांधी चौक तक काम करते हैं.
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