26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बड़ा कुड़िया के ग्रामीण झरने के दूषित पानी से बुझाते हैं अपनी प्यास, फैला डायरिया

लिट्टीपाड़ा प्रखंड के बड़ा कुड़िया गांव में मवेशी व इंसान दोनों एक ही झरने का पानी पीते हैं. दूषित पानी पीने की वजह से गांव में डायरिया फैल गया है.

लिट्टीपाड़ा. प्रखंड के बड़ा कुड़िया गांव के लोग आज भी झरने के दूषित पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं. ग्रामीण रामी पहाड़िन, चांदी पहाड़िन, सिमोन पहाड़िया, दुखना पहाड़िया, जावरी पहाड़िन, रामी पहाड़िन ने बताया कि गांव में 18 परिवार के लगभग 218 लोग आज भी झरने का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. ग्रामीणों ने बताया कि झारखंड अलग हुए 23 वर्ष बीत जाने के बाद भी गांव में ना एक चापाकल लगा और ना ही झरना कूप का निर्माण हुआ. ग्रामीण आज भी गांव से लगभग आधा किलोमीटर दूर पहाड़ी तलहटी पर बने झरना से पानी लाते हैं. एक ही झरना से मवेशी और इंसान दोनो ही पानी पीते हैं. बताया कि बारिश की वजह से झरने का पानी में बारिश के पानी से मिल कर गंदा हो जाता है जिससे हम ग्रामीणों को डायरिया, मलेरिया और ब्रेन मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी का शिकार होना पड़ रहा है.

गांव तक सड़क होती तो बच सकती थी जान :

बड़ा कुड़िया के मृतक बेंजामिन पहाड़िया की पत्नी जावरी पहाड़िन ने बताया कि अगर गांव तक सड़क होती तो आज मेरा पति जिंदा होता. उन्होंने बताया कि मेरे पति को बीते 27 अगस्त की रात से उल्टी और दस्त शुरू हुआ. गांव में सड़क नहीं होने के कारण हमलोगों ने घर पर ही ठीक होने का इंतजार किया पर बीमारी और बढ़ती गयी. गांव में आने वाले डॉक्टर से दवा दी, पर कोई असर नहीं हुआ और 28 अगस्त की रात को दम तोड़ दिया. वहीं ग्राम प्रधान बामना पहाड़िया की पत्नी अंदारी पहाड़िन भी बीते 25 अगस्त से बीमार थी. बताया कि ग्राम प्रधान की पत्नी को ग्रामीणों के सहयोग से गांव से मुख्य सड़क तक खटिया पर टांग कर पहुंचाया. इसके बाद उसे वाहन से आसनबनी स्थित रिंची हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. ग्रामीणों ने बताया कि आसनबनी में इलाज के बाद डॉक्टरों ने उसे छुट्टी दे दी. घर आने के बाद पुनः दस्त और उल्टी होने लगी. परिजन लाचार होकर घर पर ठीक होने की आस में रहे और अंदारी पहाड़िन ने भी बुधवार रात को दम तोड़ दिया. गांव में दो लोगों की मौत से पूरा गांव सदमे में है. परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है.

गांव तक जाने के लिए नहीं है सड़क :

प्रखंड मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर चारों ओर पहाड़ों से घिरा बड़ा कुड़िया गांव जाने के लिए सड़क नहीं है. गांव तक सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीण आज भी उबड़-खाबड़ पथरीली पगडंडी के सहारे आवागमन करने को मजबूर हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव से मुख्य सड़क तक लगभग चार किलोमीटर सड़क बन जाने से हमलोगों की तस्वीर और तकदीर बदल सकती है. चार किलोमीटर सड़क नहीं होने के कारण हमलोग बड़ा कुड़िया सहित छोटा मलगोड़ा, बड़ा मलगोड़ा, छुरिधारी, दुमरभिठाव के हजारों ग्रामीणों को आवागमन के साथ-साथ लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं हो सका है. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क नहीं होने के कारण गांव में बीमार होने वाले लोग समय पर इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं. साथ ही गर्भवती महिलाएं घर पर ही बच्चे को जन्म देने को मजबूर हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें