पाकुड़ जिले के उच्च विद्यालयों में नहीं है एक भी स्थायी प्रधानाध्यापक, प्रभार पर चल रहे हैं 56 हाई स्कूल

जिले में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने को लेकर 56 उच्च विद्यालय संचालित हैं. पर विडंबना है कि वर्त्तमान में सभी 56 उच्च विद्यालय प्रभार पर चल रहे हैं. इन विद्यालयों में एक भी स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | June 16, 2024 6:35 PM

सानू दत्ता, पाकुड़.

जिले में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने को लेकर 56 उच्च विद्यालय संचालित हैं. पर विडंबना है कि वर्त्तमान में सभी 56 उच्च विद्यालय प्रभार पर चल रहे हैं. इन विद्यालयों में एक भी स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं हैं. शिक्षाविदों का मानना है कि किसी भी शैक्षिक संस्था को बेहतर तरीके से संचालित करने के लिए पूर्णकालिक प्रधानाचार्य का होना अनिवार्य है. कारण यह कि कार्यवाहक प्रधानाचार्य उसी विद्यालय से होते हैं, जिससे पर्याप्त अनुशासन बनाने में पूरी तरह से सफल नहीं हो पाते हैं. एक शिक्षक को प्रधानाचार्य का दायित्व मिल जाने के कारण अन्य प्रशासनिक कामकाज भी प्रभावित होता है. उस शिक्षक की कक्षाएं भी छूट जाती हैं. अभिभावकों का कहना है कि प्रधानाध्यापक के बिना स्कूल में अनुशासन की कमी हो रही है. बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने से वंचित रह जा रहे हैं. कहा कि स्थायी प्रधानाध्यापकों की अनुपस्थिति में विद्यालयों का प्रबंधन और प्रशासन दोनों प्रभावित हो रहा है. विद्यालयों के शिक्षकों की मानें तो स्कूल में स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं होने से व्ययन कार्य में भी परेशानी हो रही है. समय पर तनख्वाह भी नहीं मिल पाता है. इससे शिक्षकों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता है. जानकारों ने बताया कि स्थायी प्रधानाध्यापकों के लिए न नियुक्ति हो रही है और न ही प्रोन्नति ही दी जा रही है.

15 साल पूर्व हुई थी प्रधानाध्यापकों की सीधी नियुक्ति :

राज्य में 15 साल पूर्व प्रधानाध्यापकों की सीधी नियुक्ति हुई थी. इसके बाद से सीधी नियुक्ति को लेकर किसी प्रकार की वैकेंसी सरकार द्वारा नहीं निकाला गया है. शिक्षाविदों ने बताया कि साल 2006 में सीधी नियुक्ति के लिए वैकेंसी निकाली गयी. प्रक्रिया पूरी करने में तीन साल लग गए और 2009 में प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति की गयी.

शिक्षक बिना प्रोन्नति के हो रहे हैं सेवानिवृत्त :

इधर, प्रोन्नति की भी प्रक्रिया भी अधर में लटकी हुई है. साल 2003 में प्रोन्नति के माध्यम से उच्च विद्यालय को स्थायी प्रधानाध्यापक प्राप्त हुआ था. वहीं प्रोन्नति की प्रक्रिया भी इतनी धीमी गति से पूरी की जाती है कि प्रोन्नति मिलते-मिलते शिक्षक सेवानिवृत्त हो जा रहे हैं.

क्या कहते हैं माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष :

साल 2009 में प्रधानाध्यापकों की सीधी नियुक्ति हुई. इसके बाद 15 वर्ष बीत गये, पर इस ओर पहल नहीं की गयी है. सरकार व विभाग की लापरवाही के कारण आज शिक्षा व्यवस्था का यह हाल हो गया है. प्रोन्नति की प्रक्रिया भी काफी धीमी गति से चल रही है. इस कारण प्रोन्नति मिलते-मिलते शिक्षक सेवानिवृत्त हो जा रहे हैं.

– मो कौशर कबीर, जिला अध्यक्ष, माध्यमिक शिक्षक संघ.B

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