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Pakur Vidhan Sabha: रानी ज्योतिर्मयी बनी थीं पहली विधायक, पिछले दो चुनावों से आलमगीर आलम मार रहे बाजी, जानें पूरा इतिहास

पाकुड़ विधानसभा से पहली बार रियासत की रानी ज्योतिमर्यी 1952 में जीत दर्ज की थी. हालांकि 1962 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वर्ष 2000 के बाद इस सीट पर हमेशा अल्पसंख्यक उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी.

Pakur Vidhan Sabha, रमेश भगत : पाकुड़ विधानसभा का चुनाव भी हमेशा दिलचस्प रहा है. शुरू से ही इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. पाकुड़ विधानसभा चुनाव 1952 कांग्रेस के टिकट पर पहली विधायक पाकुड़ रियासत की रानी ज्योतिर्मयी चुनी गयी थीं. वर्ष 1957 के चुनाव में भी उन्होंने कांग्रेस पार्टी से दुबारा जीत हासिल की. आखिरी बार 2019 में यहां पूर्व मंत्री आलमगीर आलम ने जीत दर्ज कर कांग्रेस का परचम लहराया था.

रियासत की रानी करती थीं बैलगाड़ी से प्रचार

रानी ज्योतिर्मयी बैलगाड़ी से चुनाव प्रचार करती थीं. वे समर्थकों के साथ बैलगाड़ी से गांव-गांव जाती थी. उनकी बैलगाड़ी को बंगाली परंपरा के हिसाब से सजाया जाता था. गाड़ी इस तरह तैयार की जाती थी कि रानी को धूप नहीं लगे. राजपरिवार चलाने वाली रानी के लिए लोगों के घर-घर तक जाना आसान काम नहीं था लेकिन उन्होंने अपने व्यवहार से इसे आसान बना लिया. लोग उनके स्वागत के लिए खड़े रहते थे. रानी ना सिर्फ लोगों से मुलाकात करती थी. बल्कि उनके घरों में बैठक कर महिलाओं को भी वोट देने के लिए प्रेरित करती थीं. रानी ज्योतिर्मयी लगातार दो बार जीतने के बाद भी चुनाव लड़ी लेकिन जीत हासिल नहीं कर पायी. कांग्रेस को पहली बार झारखंड पार्टी ने चुनौती दी. झारखंड पार्टी के नेता प्रसूनन्द चंद्र पांडे विधायक बने. 1967 के चुनाव में भारतीय जनसंघ के बीएन झा ने चुनौती दी और विधायक बने.

पहले अल्पसंख्यक विधायक बने सैयद मो जफर अली

मुस्लिम मतदाताओं की अधिकता वाले इलाके में कांग्रेस ने पहली बार साल 1972 में मुस्लिम उम्मीदवार सैयद मो जफर अली को चुनावी मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की. उसके बाद वे लगातार दो बार चुनाव जीते. 1980 के चुनाव में सीपीएम के प्रत्याशी रहे अब्दुल हाकीम ने उन्हें चुनौती दी और जीते. 1985 में कांग्रेस ने प्रत्याशी बदला और हाजी मुहम्मद ऐनुल हक को मैदान में उतारा. हाजी मुहम्मद ऐनुल हक ने कांग्रेस को निराश नहीं किया और जीत हासिल की.

1990 व 1995 में भाजपा पाकुड़ सीट से जीती

90 के दशक में देशभर में भाजपा के उभार का असर पाकुड़ में दिखा और भाजपा प्रत्याशी बेनी प्रसाद गुप्ता 1990 और 1995 में कांग्रेस को पटखनी देते हुए जीत हासिल की. 2000 में कांग्रेस प्रत्याशी आलमगीर आलम ने भाजपा प्रत्याशी बेनी प्रसाद गुप्ता को पीछे छोड़ चुनाव जीते. उन्होंने दुसरी बार भी जीत हासिल की. लेकिन साल 2009 के त्रिकोणीय मुकाबले में झामुमो प्रत्याशी अकील अख्तर से पटखनी खा गये. उसके बाद उन्होंने दोबारा पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2014 और 2019 के चुनाव में रिकोर्ड वोट से जीत हासिल की. फिलहाल आलमगीर आलम भ्रष्टाचार के आरोप में ईडी की गिरफ्त में है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि पाकुड़ विधानसभा के मतदाता क्या रंग दिखाते हैं.

पाकुड़ विधानसभा से जीतने वाले विधायक

वर्षविधायक पार्टी
1952 रानी ज्योतिर्मयीकांग्रेस
1957 रानी ज्योतिर्मयी कांग्रेस
1962 प्रसूनंदू चंद्र पांडेय झारखंड पार्टी
1967 बी एन झा भारतीय जनसंघ
1969 सैयद मो जफर अली कांग्रेस
1972 सैयद मो जफर अली कांग्रेस
1977 हाजी मुहम्मद ऐनुल हक कांग्रेस
1980 अब्दुल हाकीम सीपीएम
1985 हाजी मुहम्मद ऐनुल हक कांग्रेस
1990 बेनी प्रसाद गुप्ता भाजपा
1995 बेनी प्रसाद गुप्ता भाजपा
2000 आलमगीर आलम कांग्रेस
2005 आलमगीर आलम कांग्रेस
2009 अकील अख्तर झामुमो
2014 आलमगीर आलम कांग्रेस
2019 आलमगीर आलम कांग्रेस

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