फूलो झानो आशीर्वाद योजना से बदली पाकुड़ की सुहागनी की किस्मत, इस बिजनेस से बनी आत्मनिर्भर

झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से जुड़कर पाकुड़ की सुहागनी ने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव किए. यह योजना हड़िया-दारू बेचने वाली महिलाओं को ब्याज मुक्त ऋण देता जिससे वह दारू बेचना छोड़कर सम्मानजनक व्यसाय कर सके.

By Kunal Kishore | July 16, 2024 9:42 PM

पाकुड़, सानू दत्ता : पाकुड़ के अमड़ापाड़ा प्रखंड क्षेत्र के अमड़ापाड़ा संथाली गांव की सुहागनी मुर्मू कभी हड़िया व दारू बेचने का काम करती थी. पर अब उसने हड़िया व दारू बेचने का काम छोड़ दिया है. वह पशुपालन कर आत्म निर्भर बन रही है.

नहीं था रोजगार का साधन इसलिए बेचा दारू

सुहागनी मुर्मू बताती है कि रोजगार का साधन नहीं होने के कारण वह घर पर हड़िया व दारू बनाकर हाट बाजारों में बेचने का काम दो साल पहले कर रही थी. आमदनी के नाम पर थोड़े बहुत पैसे तो मिल जाते थे, पर इज्जत मिलना मुश्किल था. वहीं घर पर हड़िया व दारू बनाने के कारण पति को भी शराब की लत लग गई थी. घर पर रोजाना पति-पत्नी में भी झगड़े होते थे.

पति के शराब पीने से घर में होते थे झगड़े

घर पर झगड़ा होने के कारण बच्चे भी परेशान रह रहे थे. साथ ही आर्थिक स्थिति बद से बदतर होते जा रही थी. इस सब चीजों से बाहर निकलना चाह रही थी. पर आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण अन्य काम भी नहीं कर पा रही थी. जैसे मौका मिला इन सब चीजों से दूरी बनाते हुए पशुपालन का कार्य शुरू कर दिया है. जिसमें मुझे अच्छी आमदनी हो रही है. पशुपालन कर ही अपनी बेटी की शादी मई 2024 में कराया है.

2022 में फूलो झानो आशीर्वाद योजना से जुड़ी सुहागनी

सुहागनी बताती है, कि गांव में समूह का गठन किया जा रहा था. इस दौरान कुछ महिलाओं ने उसे समूह में जुड़ने की सलाह दी. उसने महिलाओं की सलाह मानी और समूह से जुड़ गई. जेएसएलपीएस के द्वारा उसे पशुपालन का प्रशिक्षण दिलवाया गया. 30 जनवरी 2022 को फूलो झानो आशीर्वाद योजना के तहत पशुपालन के लिए उसे 10 हजार रूपये दिए गए. योजना के तहत मिले पैसों से उसने तीन बकरियां खरीदी. बकरियों का पालन पोषण करते हुए धीरे-धीरे बकरियों में बढ़ोतरी होने लगी. घर से ही वह बकरी बेचने का काम शुरू किया. जिससे उसे अच्छी आमदनी होने लगी है.

40 से 50 हजार रूपये कमा रही है सालाना

सुहागनी ने बताया कि 3 बकरियों से उन्होंने 19 बकरियां की है. बकरियां बेच कर वह सालाना 40 से 50 हजार रूपये घर बैठे ही कमा रही है. जेएसएलपीएस के ब्लाक लीड राजेश महतो उन्हें सहयोग कर रहे है. समय-समय पर सलाह उनके द्वारा दी जाती है. जिसका वह पालन कर आगे बढ़ रही है. वहीं जेएसएलपीएस के ब्लाक लीड राजेश महतो ने बताया कि समूह की महिलाओं को हर संभव मदद किया जाता है. सप्ताह में उनसे मिलकर उनकी परेशानी को सुनकर समाधान का प्रयास किया जाता है.

Also Read : हड़िया बेचनेवाली महिलाओं के जीवन में बदलाव नहीं ला सकी फूलो-झानो आशीर्वाद योजना, 3 साल में 2084 को ही मिला लाभ

Next Article

Exit mobile version