भीषण गर्मी के मौसम में बच्चों में डायरिया व डिहाइड्रेशन की आशंका
जिले में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है. आग उगल रही सूर्य की तपिश व गर्मी के इस मौसम में थोड़ी-सी लापरवाही भी कई तरह की बीमारियों को न्यौता दे सकती है.
पाकुड़. आग उगल रही सूर्य की तपिश व गर्मी जिले वासियों के लिए कहर साबित हो रही है. जिले में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है. सुबह से ही तेज धूप तो दूसरी ओर तेजी से बह रही पछुआ हवा के थपेड़े शरीर को झुलसा दे रहे हैं. इसमें बच्चे भी चपेट में आ रहे हैं. जिला स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल में प्रत्येक दिन डायरिया से संबंधित केस आ रहे हैं. ऐसे मौसम में थोड़ी-सी लापरवाही कई तरह की बीमारियों को न्योता दे सकती है. ऐसे में लोगों को अपनी सेहत के प्रति ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. खासकर छोटे बच्चों के मामले में तो यह और भी जरूरी है. अस्पताल उपाधीक्षक डॉ मनीष कुमार ने बताया कि ऐसे मौसम में शिशुओं और छोटे बच्चों को डायरिया का खतरा बढ़ जाता है. डायरिया के कारण बच्चों में अत्यधिक डिहाइड्रेशन का खतरा बना रहता है. समय पर उचित इलाज होने नहीं होने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है. डायरिया से संबंधित लक्षणों के प्रति जागरूक होकर इसके खतरे से आसानी से बचा जा सकता है. प्रतिदिन डायरिया के दो-तीन मरीज इलाज के लिए आते हैं. इलाज के लिए आने वाले मरीजों को भर्ती कर आवश्यक उपचार किया जाता है.
आसानी से हो सकती है डायरिया की पहचान
:डाॅक्टर की मानें तो डायरिया की पहचान आसानी से की जा सकती है. डायरिया पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के सबसे बड़े कारणों में से एक है. शुरुआती लक्षणों के आधार पर आसानी से इसकी पहचान कर इसका इलाज किया जा सकता है. डायरिया के मुख्य लक्षणों में लगातार पहले दस्त का होना, दस्त के साथ उल्टी, भूख में कमी, दस्त के साथ हल्का बुखार, डिजिटल परिस्थितियों में दस्त के साथ खून आना इसके प्रमुख लक्षण हैं. रोग के शुरुआती दौर में ओआरएस का घोल इलाज में काफी मददगार होता है. इसे घर पर भी बनाया जा सकता है.
दूषित जल व स्वच्छता का ध्यान रखना जरूरी :
अस्पताल उपाधीक्षक के अनुसार डायरिया का प्रकोप पांच साल तक के बच्चों में अधिक देखने को मिलता है. इसकी रोकथाम को लेकर साफ-सफाई भी जरूरी है. साफ-सफाई नहीं रहने के कारण बच्चों में कुपोषण का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए इससे बचाव जरूरी है. गर्मियों में बच्चे अक्सर प्यास लगने पर कहीं से भी पानी पी लेते हैं, जिससे इन्फेक्शन का खतरा बना रहता है. दूषित जल का सेवन, साफ-सफाई की कमी इसके मुख्य कारणों में शामिल हैं. इसलिए बच्चों को खाना खिलाने से पहले अच्छी तरह उनका हाथ धो लेना चाहिए. खाना बनाते व परोसते समय सफाई रखनी चाहिए. बच्चों को शौच के बाद साबुन से हाथ धोने की आदत डायरिया से बचाव के लिहाज से जरूरी है. बच्चों को दस्त की समस्या होने पर किसी दवा से पहले उन्हें पानी की कमी से बचाएं. जीवनरक्षक घोल यानी ओआरएस का सेवन करना चाहिए. यह घर पर आसानी से उपलब्ध किया जा सकता है. घर पर ही नींबू-पानी में नमक व चीनी मिलाकर पिलाएं. हालत में सुधार नहीं होने पर तत्काल अपने नजदीकी अस्पताल से संपर्क करने की सलाह उन्होंने दी है.
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