राष्ट्रवादी आंदोलन के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में शुमार थे भगत सिंह

ओपन स्काई स्मार्ट स्कूल में शहीद भगत सिंह की जयंती मनायी गयी. भगत सिंह को 23 वर्ष की उम्र में ब्रिटिश सरकार ने फांसी पर चढ़ा दिया था.

By Prabhat Khabar News Desk | September 28, 2024 11:24 PM

पाकुड़. ओपेन स्काई स्मार्ट स्कूल में शनिवार को शहीद भगत सिंह की जयंती मनायी गयी. इस अवसर पर सभी शिक्षकों ने भगत सिंह की तस्वीर पर श्रद्धासुमन अर्पित कर देश के प्रति उनके अमूल्य योगदान को याद किया. शिक्षकों ने बच्चों को बताया कि भगत सिंह को भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपना बहुत बड़ा योगदान दिया था. भगत सिंह को 23 वर्ष की उम्र में ब्रिटिश सरकार ने फांसी पर चढ़ा दिया. भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को लायलपुर ज़िले के बंगा में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है. उनका पैतृक गांव खट्कड़कलां है जो पंजाब, भारत में है. भगत सिंह का परिवार एक आर्य-समाजी सिख परिवार था. भगत सिंह करतार सिंह सराभा और लाला लाजपत राय से अत्यधिक प्रभावित रहे. बचपन से ही भगत सिंह के दिल में देशभक्ति की भावना उत्पन्न हो गयी. भगत सिंह ने अपनी पांचवीं तक की पढ़ाई गांव में की और उसके बाद उनके पिता किशन सिंह ने दयानंद एंग्लो वैदिक हाई स्कूल लाहौर में उनका दाखिला करवाया. बहुत ही छोटी उम्र में भगत सिंह महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए और बहुत ही बहादुरी से उन्होंने ब्रिटिश सेना को ललकारा. 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह के बाल मन पर बड़ा गहरा प्रभाव डाला. उनका मन इस अमानवीय कृत्य को देख देश को स्वतंत्र करवाने की सोचने लगा. भगत सिंह ने चंद्रशेखर आज़ाद के साथ मिलकर क्रांतिकारी संगठन तैयार किया. लाहौर षडयंत्र मामले में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी की सज़ा सुनायी गयी और बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास दिया गया. भगत सिंह को 23 मार्च 1931 की शाम सात बजे सुखदेव और राजगुरू के साथ फांसी पर लटका दिया गया. तीनों ने हंसते-हंसते देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया. भगत सिंह एक अच्छे वक्ता, पाठक व लेखक भी थे. उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखा व संपादन भी किया. भारत की आजादी में उनके योगदान के कारण सभी देशवासी हमेशा उनके ऋणी रहेंगे.

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