सुजित कुमार मंडल, लिट्टीपाड़ा.
प्रखंड के करमाटांड़ पंचायत के सकला गांव के ग्रामीण आज भी झरना व कूप का पानी पीने को मजबूर हैं. इस कारण गांव में डायरिया की बीमारी से लोग परेशान रहते हैं. शनिवार को गांव में डायरिया से आधा दर्जन लोग प्रभावित हो गये थे. प्रभावित लोगों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा तत्परता दिखाते हुए गांव में स्वास्थ्य टीम भेजकर ग्रामीणों का समय रहते इलाज किया गया. इससे गांव के अन्य लोगों में फैलने से बचाया गया. दूषित पानी व गंदगी के कारण गांवों में डायरिया फैलने की आशंका चिकित्सकों द्वारा जतायी गयी है. फिलहाल सभी डायरिया पीड़ित मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार आ रहा है.झरना का पानी पीने को हैं मजबूर :
प्रखंड के सकला गांव के ग्रामीण आज भी झरना व कूप का पानी पीने को मजबूर हैं. गांव के मरकुस पहाड़िया ने बताया कि सकला गांव में प्रधान टोला व जोजो टोला के लगभग 29 परिवार पूरी तरह झरना कूप पर निर्भर हैं. वहीं सकला गांव के आदिवासी ग्रामीण आज भी झरने का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. आदिवासी टोला के रामजी हांसदा, पायो मुर्मू, मंगल मुर्मू, लेटो हांसदा, विनोद मरांडी ने बताया कि संथाली टोला में लगभग 20 परिवार पूरी तरह झरना के पानी पर निर्भर हैं. बताया कि गांव से पगडंडी के सहारे लगभग एक किलोमीटर दूर पहाड़ के नीचे में बने झरना से बारिश के मौसम को छोड़कर अन्य दिनों में मवेशी एवं ग्रामीण दोनों ही पानी पीते हैं. झरने का पानी पीने से आये दिन गांव के लोग बीमार रहते हैं. वहीं जोजो टोला से हमलोगों के गांव तक सड़क नहीं बना है. इससे गांव में अगर कोई बीमार पड़ता है तो मरीज को गांव से लगभग एक किलोमीटर खटिया पर टांग कर ले जाया जाता है.गांव में स्थिति सामान्य :
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मुकेश बेसरा ने बताया कि गांव की स्थिति सामान्य है. शनिवार देर रात तक डायरिया पीड़ित सभी लोगों का गांव में कैंप लगाकर इलाज किया गया. इनमें पांच लोगों को एम्बुलेंस के माध्यम से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था, जिन्हें इलाज के बाद घर छोड़ दिया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है