गर्मी तेज होते ही बढ़ी मिट्टी के मटके की बिक्री, 30 से 80 रुपये मिल रहे हैं मटके

महेशपुर में गर्मियों में जब प्यास लगती है, तो ठंडे पानी का ख्याल आता है. वैसे तो आजकल लगभग हर घर में फ्रिज है. साप्ताहिक हटिया में सजे देसी फ्रिज की जमकर बिक्री हो रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 20, 2024 4:44 PM

महेशपुर. गर्मियों में जब प्यास लगती है, तो ठंडे पानी का ख्याल आता है. वैसे तो आजकल लगभग हर घर में फ्रिज है. साप्ताहिक हटिया में सजे देसी फ्रिज की जमकर बिक्री हो रही है. इसमें पानी आसानी से ठंडा हो जाता है, लेकिन देसी फ्रिज कहे जाने वाले मटके के पानी की बात ही कुछ और है. महेशपुर प्रखंड में 43 डिग्री सेल्सियस की कड़कड़ाती धूप और उमस भरी गर्मी में घड़े की मांग बढ़ गयी है. चाहे एसी में रहने वाले लोग हों या लखपति कार से सफर करने वाले बड़ा बाबू, सभी की पहली पसंद इस समय देसी फ्रिज घड़ा बन गया है. महेशपुर प्रखंड मुख्यालय में लगने वाले शनिवार को साप्ताहिक हटिया में सजे देसी फ्रिज की जमकर बिक्री हो रही है. खरीदारी का बहुत बड़ा कारण बाधित विद्युत आपूर्ति भी है. अब तो घड़े के दर्शन ऐसे घरों या कार्यालयों में भी हो रहा है. जहां गर्मी में फ्रिज के पानी बिना गला तर नहीं होता था. देसी फ्रिज की मांग बढ़ने से पिछले साल के मुकाबले कीमतों में आंशिक वृद्धि हुई है. कुम्हार जीतू पाल व जानकी देवी बताते हैं कि जिस तरह महंगाई बढ़ी है, उस हिसाब से घड़े के दाम नहीं बढ़े हैं, लेकिन गर्मी बढ़ने से मांग जरूर बढ़ गयी है. फ्रिज के पानी की तुलना में मटके का पानी ज्यादा सेहतमंद होता है. गर्मी शुरू होने के तीन माह पहले से ही मटके बनाने का काम शुरू हो जाता है. मटके बनाने से लेकर उसे बाजार में पहुंचाने तक जो मेहनत लगती है, उसकी तुलना में कीमत महंगाई के इस दौर में कुछ भी नहीं है. मिट्टी चालना उसका गिलाओ बनाना, चाक में मिट्टी को मटके का आकार देना उसे पकाने में काफी समय वह मेहनत लगता है. मटका तैयार होने के बाद उसे कंधे पर यह टोकरी के ऊपर रखकर बाजार में लाना पड़ता है, क्योंकि वाहन से लाने पर टूटने का खतरा बना हुआ रहता है. इस वर्ष मटकों की कीमत में थोड़ी वृद्धि हुई है. छोटे आकर के मटके 30-60 रुपये में तथा उससे बड़ा मटका 50-60 रुपये में बिक रहा है.

Next Article

Exit mobile version