सुनील चंद्र दे, हिरणपुर. प्रखंड के ग्रामीण इलाकों में हड़िया-दारू बेचनेवाली महिलाएं मेहनत के बल पर अपनी नयी पहचान बना रही है. तकदीर में परिवर्तन दिखने लगा है. इसके लिए इन महिलाओं ने ना केवल जी-तोड़ मेहनत की, बल्कि सामाजिक अपमान को मिटाने की भूख ने भी उनके प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. महिलाओं ने झारखंड सरकार के फूलो-झानो आशीर्वाद योजना से मिली ब्याजमुक्त पैसों से अपने लिए सफलता की नयी इबारत तो लिखी ही है. साथ ही आसपास के इलाकों की उन महिलाओं के लिए नजीर भी पेश किया है जो नशे के कारोबार में लगी हुई थीं. उन्हीं महिलाओं में एक है हिरणपुर के मोहनपुर पंचायत अंर्तगत मोहनपुर गांव की सांझली किस्कू. वह आज से दो साल पहले तक स्थानीय हिरणपुर हाट समेत ग्रामीण क्षेत्रों के चौक-चौराहे पर हड़िया और देशी दारू बेचकर अपना और अपने परिवार के छह सदस्यों का पेट पालती थी. लेकिन बकरी पालन कर अपनी किस्मत बदल ली. मिली जानकारी के अनुसार संझली किस्कू की किस्मत ने उस समय पलटी मारी जब गांव में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के अंतर्गत चल रहे सखी मंडल के सदस्यों ने उसे राज्य सरकार की योजना फूलो झानो आशीर्वाद योजना के बारे में बताया. यही नहीं संझली ने चंपा चमेली आजीविका सखी मंडल से जुड़कर व सरकार से मिलनेवाली ब्याज मुक्त ऋण 25000 रुपये से अपना खुद का सम्मानजनक व्यवसाय बकरीपालन के साथ-साथ मुर्गीपालन, बत्तखपालन का व्यवसाय शुरू कर दिया. आज वह इस बकरीपालन, बत्तखपालन, मुर्गीपालन के जरिए प्रतिमाह अच्छी राशि कमा रही है. इससे वह अपने परिवार को एक बेहतर जिंदगी देने में सफल हो चुकी है. आज उसके दोनों बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं तो उसका पति भी नशे से बाहर होकर अब सखी मंडल के सहयोग से रोजगार का साधन अपनाकर अच्छा इनकम कर रही है. वहीं संझली किस्कू कहती हैं कि यदि पलाश झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा संचालित सखी मंडल का साथ नहीं मिला होता तो आज वह इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाती. संझली उन चुनिंदा महिलाओं में शामिल हैं जो नए रोजगार की दिशा में सफलता पायी. साथ ही बेरोजगार पति को भी रोजगार से जोड़कर अपनी बिखरती जिंदगी को भी समेट ली.
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