राघव मिश्रा, पाकुड़. कहते हैं अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो तो कुछ भी करना मुश्किल नहीं होता. ऐसा ही शहर के धनुषपूजा स्थित एवरेट मिशन के संचालक सह समाजसेवी एलेक्स सेम की पत्नी सुनीता मरांडी ने कर दिखाया है. वर्तमान में यह एक मां की भूमिका निभा रही है. इनका अपना एक आश्रय गृह सदर प्रखंड के समशेरा गांव में है. जहां ये 20 जरूरतमंद बच्चों के साथ काफी खुशी से रह रही हैं. इनके यहां पाकुड़ जिला के लिट्टीपाड़ा, हिरणपुर, अमड़ापाड़ा, महेशपुर प्रखंड के बच्चे रह रहे हैं. यही नहीं इनकी सारे खर्च का भी वहन कर रही हैं. 2008 में इन्होंने आश्रय गृह को शुरू किया. उस समय उनके पास दो बच्चे हुआ करते थे. 2009 में पंजीकृत किया गया. उनकी देखभाल करने को लेकर ऑफिस स्टाफ की भी महत्वपूर्ण भूमिका रह रही है. ऑफिस स्टाफ डोली डेविड, बिटिया मुर्मू, जबीता हेम्ब्रम, देवी पहाड़िन कहती हैं कि इन बेसहारा बच्चों की सेवा करने में बहुत खुशी मिलती है. वहीं सुनीता मरांडी कहती हैं कि अनाथ आश्रम में रहकर ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की. इस दौरान परिजनों से भी दूर रहने की पीड़ा उठायी. मैंने भी मां से दूर रहने का दर्द महसूस किया है. वहीं से अनाथ बच्चों की सेवा करने का मन में आया. अनाथ बच्चों की सेवा करने का सपना संजाेया. आर्थिक संकटों के बीच अनाथ की सेवा शुरू की. फिर धीरे-धीरे यह सिलसिला आगे बढ़ता गया. अपना प्रदेश छोड़ दूसरे प्रदेशों में गयी. इस सपने को पूरा करने के लिए बिहार और राजस्थान से पाकुड़ आकर बस गयी.
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