आदिवासी कला को निखारने के लिए बना भवन बन रहा खंडहर, सात साल बाद भी बेकार

आदिवासी कला को निखारने के लिए बना भवन बन रहा खंडहर, सात साल बाद भी बेकार

By Prabhat Khabar News Desk | December 16, 2024 5:32 PM

प्रतिनिधि, लिट्टीपाड़ा सोनधानी गांव का कला सांस्कृतिक भवन झारखंड के कला और संस्कृति के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बन सकता था, लेकिन इसकी उपेक्षा ने इसे विफलता की कहानी बना दिया. अब भी समय है कि प्रशासन इसे गंभीरता से लेकर इसे पुनर्जीवित करने के ठोस कदम उठाये. यह केवल एक भवन का मामला नहीं है, बल्कि झारखंड की गौरवशाली आदिवासी कला और संस्कृति को बचाने की लड़ाई है. प्रखंड क्षेत्र के आदिम जनजाति आदिवासी पहड़िया युवक युवतियों के कला को निखारने के उद्देश्य से करोड़ की लागत से सोनधानी गांव में बना कला सांस्कृतिक भवन धीरे धीरे खंडहर में परिवर्तित होता जा रहा है. क्षेत्र के कलाकारों को आशा थी कि भवन निर्माण होने से उनके कला को न सिर्फ लाभ पहुंचेगा, बल्कि दूसरे प्रदेशों में भी अपनी कला को बिखरने का मौका मिलेगा. लेकिन भवन बनने के सात वर्ष बाद भी आदिम जनजाति आदिवासी पहड़िया युवक युवतियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. प्रखंड मुख्यालय से लगभग आठ किमी दूर सोनधानी गांव के फुटबॉल मैदान में बना कला संस्कृति भवन आज धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. इससे स्थानीय ग्रामीणों में काफी रोष देखा जा रहा है. कल्याण विभाग पाकुड़ द्वारा निर्मित इस भवन का उद्घाटन तत्कालीन राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने 11 अप्रैल 2016 को सोनधानी गांव पहुंच कर किया था. स्थानीय लोगों के साथ-साथ प्रखंड के लोगों में आशा जगी थी कि अब यहां के युवा कला के गुर सीख कर दूसरे प्रदेशों में झारखंड की कला का प्रसार कर सकेंगे.

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