राष्ट्र नायकों की प्रतिमाओं पर पड़ रही उपेक्षा की धूल
सिर्फ जयंती व पुण्यतिथि पर महापुरुष किये जा रहे याद
सिर्फ जयंती व पुण्यतिथि पर महापुरुष किये जा रहे याद
राघव मिश्रा, पाकुड़शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर स्थापित महापुरुषों की प्रतिमाओं की स्थिति यह दर्शाती है कि जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और प्रशासन के लिए इन महापुरुषों का वास्तविक महत्त्व क्या है. लाखों की आबादी वाले इस शहर में नेता, स्वयंसेवी संस्थाएं और सरकारी अधिकारी सक्रिय रूप से कार्यरत हैं, लेकिन इसके बावजूद इन ऐतिहासिक व्यक्तित्वों की प्रतिमाओं की उपेक्षा निरंतर बनी हुई है. शहर में स्थित इन प्रतिमाओं की देखरेख सिर्फ वर्ष में एक या दो बार, विशेष अवसरों पर की जाती है, उसके बाद इन्हें अनदेखा कर दिया जाता है. राष्ट्र और समाज के प्रति समर्पण की बातें करने वाले लोग इन महापुरुषों की प्रतिमाओं पर महीनों तक जमी धूल की परतों तक साफ नहीं कर पा रहे. इन प्रतिमाओं काे पहनायी गयी मालाएं भी समय के साथ सूखकर उनकी गरिमा को प्रभावित करती हैं. देश की स्वतंत्रता और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के लिए अपने जीवन का बलिदान देने वाले इन महापुरुषों की प्रतिमाओं की उपेक्षा विचारणीय है. अटल चौक पर स्थापित अटल बिहारी वाजपेयी जी की प्रतिमा को पिछले वर्षगांठ के अवसर पर, 25 दिसंबर को माल्यार्पण किया गया था, लेकिन तब से लेकर अब तक उनके गले में वही सूखे फूलों की माला लटकी हुई है. प्रतिदिन इस चौक से प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि गुजरते हैं, किंतु वे इस ओर ध्यान देना आवश्यक नहीं समझते. नगर परिषद द्वारा शहर के 21 वार्डों की सफाई कराई जाती है, लेकिन इन महापुरुषों की प्रतिमाओं और उनके आसपास के क्षेत्र की नियमित सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, जबरा पहाड़िया, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, मदर टेरेसा, मदन मोहन मालवीय, वीर कुंवर सिंह, महात्मा गांधी, खुदीराम बोस, स्वामी विवेकानंद समेत अन्य महान विभूतियों की प्रतिमाओं की स्थिति भी कमोबेश यही है. यह आवश्यक है कि प्रशासन, जनप्रतिनिधि और समाज मिलकर इन महापुरुषों की स्मृतियों को सहेजने और उनकी प्रतिमाओं के सम्मान को बनाए रखने की दिशा में ठोस कदम उठायें. यह न केवल उनके योगदान के प्रति हमारी कृतज्ञता का प्रतीक होगा, बल्कि समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता को भी बढ़ावा देगा.
बोले पदाधिकारी
ये बात बिल्कुल ही है कि महापुरुषों की प्रतिमा की साफ सफाई होनी चाहिए. ये पुण्यतिथि व जन्मतिथि में ही होती है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है. इनकी सफाई निरंतर होगी. महीने में एक बार हो यह प्रयास किया जायेगा.
अमरेंद्र चौधरी, नप प्रशासक—————————————————–
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