अनियमितता: तीन करोड़ खर्च कर लगी लाइट, तीन माह में ही खराब

विश्रामपुर (पलामू): विश्रामपुर नगर परिषद अंतर्गत पड़ने वाले सड़कों के किनारे एलइडी स्ट्रीट लाइट लगवायी गयी थी. नप क्षेत्र के लोगों को आशा थी कि विश्रामपुर नगर परिषद में धीरे-धीरे शहरी सुविधाएं बहाल होंगी, लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है. यह खुशी अब आक्रोश में तब्दील होने लगी है. इसका मुख्य कारण एलइडी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2017 11:39 AM
विश्रामपुर (पलामू): विश्रामपुर नगर परिषद अंतर्गत पड़ने वाले सड़कों के किनारे एलइडी स्ट्रीट लाइट लगवायी गयी थी. नप क्षेत्र के लोगों को आशा थी कि विश्रामपुर नगर परिषद में धीरे-धीरे शहरी सुविधाएं बहाल होंगी, लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है. यह खुशी अब आक्रोश में तब्दील होने लगी है. इसका मुख्य कारण एलइडी स्ट्रीट लाइट की गुणवत्ता को लेकर है. विश्रामपुर नगर परिषद में तीन करोड़ रुपये खर्च कर स्ट्रीट लाइट लगवायी गयी थी. लेकिन स्ट्रीट लाइट तीन महीनों में ही खराब हो गयी. अब नगर परिषद क्षेत्र में रातों को अंधेरा पसर जाता है.
गुणवत्ता व मानकों का नहीं रखा गया ख्याल : एलइडी स्ट्रीट लाइट लगवाने में गुणवत्ता व मानकों का ख्याल नहीं रखे जाने की जानकारी मिली है. अधिकारी-कर्मचारी, नप प्रतिनिधि व सप्लायर ठेकेदार की मिलीभगत के कारण सभी लाइट निम्न मानक वाले लगायी गयी. प्राक्कलन के अनुसार स्ट्रीट लाइट में 120 वॉट का एलइडी बल्ब का इस्तेमाल किया जाना था, लेकिन ठेकेदार ने मात्र 80 वाट का बल्ब ही इस्तेमाल करवाया. इसके अलावा अन्य मानकों में कटौती की गयी. बावजूद इसके ठेकेदार को पूर्ण राशि का भुगतान किया गया.

नगर परिषद की निविदा के एकरारनामा के अनुसार एक वर्ष तक लाइट की रखरखाव की जिम्मेवारी ठेकेदार की थी, लेकिन ठेकेदार ने इस शर्त का भी उल्लंघन किया. सबसे आश्चर्यजनक पहलू यह है कि इतनी अनियमितता बरतने के बावजूद उसी ठेकेदार को बार-बार स्ट्रीट लाइट लगवाने का ठेका दिया गया.
प्राक्कलन के दौरान भी किया गया घोटाला : विश्रामपुर नगर परिषद में अन्य घोटालों के साथ प्राक्कलन घोटाला का भी नाम जुड़ गया है. विश्रामपुर नगर परिषद ने एक स्ट्रीट एलइडी लाइट के लिए 48 हजार पांच सौ रुपये ठेकेदार को दिये, जबकि इससे कम प्राक्कलन में बेहतर लाइट बाजार में उपलब्ध था. ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों ने बाजार से ऊंची कीमत ठेकेदार को दी और उसके बदले घटिया लाइट लगवायी. अब इस पूरे प्रकरण में नप प्रतिनिधियों ने चुप्पी साध रखी है.
आरटीआइ कार्यकर्ताओं को भी नहीं मिली जानकारी
आरटीआइ कार्यकर्ता वेदव्यास पांडेय ने एलइडी स्ट्रीट लाइट के बारे में आरटीआइ के तहत विश्रामपुर नगर परिषद से जानकारी मांगी थी. लेकिन उन्हें जानकारी देने से इनकार कर दिया गया. श्री पांडेय इस मामले को प्रथम अपील के बाद द्वितीय अपील तक गये है, जहां यह मामला अभी विचाराधीन है. उन्होंने कहा कि नगर परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी. जल्द ही इस मामले में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर किया जायेगा.
खराब लाइट दुरुस्त करायी जायेंगी : अध्यक्ष
विश्रामपुर नगर परिषद अध्यक्ष हलीमा बीबी ने कहा कि पूर्व के कार्यपालक पदाधिकारी ने इस मामले में अनियमितता बरती थी. जो लाइट खराब है,उसे ठीक करायी जायेगी.
एक ही ठेकेदार को आवंटित होता है काम
नगर परिषद में लाइट लगवाने का पहला निविदा नौ मई 2014 को निकाली गयी थी. लाइट विश्रामपुर में लगनी थी लेकिन इसके निविदा की पूरी प्रक्रिया मेदिनीनगर में संपन्न हुआ. 2014 में जिस ठेकेदार को कार्य मिला.उसी को बार-बार लाइट लगवाने का कार्य दिया जा रहा है. घोर अनियमितता के बावजूद भी ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिये पुराने कार्य पर हर बार नई दर से भुगतान किया जाता रहा है. जबकि नियम यह है कि हर वर्ष आपूर्ति का निविदा निकाला जाना चाहिए. लेकिन यहां ऐसा नहीं किया गया. एक ही ठेकेदार को पुराना करार का हवाला देकर नये दर से लाइट लगवाने का कार्य-आदेश दिया जाता रहा है.और नये दर से राशि की भुगतान की गयी है.

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