बदहाली: रामगढ़ का उलमान गांव अब भी देख रहा विकास की राह, 3000 लोग खुले में करते हैं शौच

चैनपुर: पलामू के उग्रवाद प्रभावित रामगढ़ प्रखंड स्थित उलमान गांव आजादी के 70 वर्षों के बाद भी विकास की बाट जोह रहा है. गांव में आज तक मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं करायी गयी. कंप्यूटर के युग में गांव के लोग आज भी बिजली का इंतजार कर रहे हैं. गांव में जाने के लिए पक्की सड़क […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 23, 2017 12:57 PM
चैनपुर: पलामू के उग्रवाद प्रभावित रामगढ़ प्रखंड स्थित उलमान गांव आजादी के 70 वर्षों के बाद भी विकास की बाट जोह रहा है. गांव में आज तक मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं करायी गयी. कंप्यूटर के युग में गांव के लोग आज भी बिजली का इंतजार कर रहे हैं. गांव में जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है.
यही नहीं ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का भी लाभ नहीं मिल रहा है. पिछले पांच साल से उलमान गांव में मनरेगा के तहत कोई काम नहीं हुआ. रामगढ़ प्रखंड मुख्यालय से इस गांव की दूरी लगभग नौ किलोमीटर है. गांव में 250 घर हैं. आबादी लगभग 3000 के करीब हैं. मतदाता सूची के मुताबिक 900 मतदाता हैं. रहने वाले खरवार, कोरवा समुदाय के लोग हैं, जो आदिम जनजाति वर्ग में आते हैं. हैरत तो यह है कि उलमान गांव स्वच्छता अभियान से दूर है. गांव में आज तक एक भी शौचालय नहीं बना है. लोग खुले में शौच जाते हैं. वार्ड सदस्य सरस्वती देवी का कहना है कि गांव के लोग स्वच्छता अभियान से जुड़ना चाहते हैं, पर पंचायत प्रतिनिधि इसके लिए प्रेरित ही नहीं करते.
हर घर से एक युवक का पलायन
वार्ड सदस्य सरस्वती देवी कहती हैं कि गांव में करीब 250 घर हैं. औसतन प्रत्येक घर से एक युवा रोजगार की तलाश में बाहर चला गया है. गांव में रोजगार नहीं है. न तो मनरेगा का काम चलता है और न ही 14 वें वित्त से कोई काम हुआ. गांव में आने के लिए पक्की सड़क तक नहीं है. जबकि हुटार मुख्य सड़क से इस गांव की दूरी लगभग तीन किलोमीटर है. सड़क ऐसी है कि बरसात में चलना भी मुश्किल है. मोटरसाइकिल साइकिल से आने की बात तो दूर रही. गांव के ननहकू सिंह,सत्यनारायण सिंह, बृजकिशोर सिंह, जगदीश सिंह, तुलसी सिंह, ज्ञानी सिंह, संजय प्रसाद कहते हैं न जाने उलमान गांव में कब विकास का सवेरा आयेगा.
अगले चरण में रामगढ़ प्रखंड होगा ओडीएफ
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के समन्वयक कनक राज ने कहा कि मनातू व पड़वा प्रखंड को खुले में शौच से मुक्त किया जा चुका है. सतबरवा को जल्द ही ओडीएफ घोषित किया जायेगा. रामगढ़ प्रखंड को अगले चरण में ओडीएफ करने की योजना है, जिसके तहत उलमान गांव में शौचालय का निर्माण किया जायेगा.
15 में से 13 चापाकल हैं खराब
गांव के राजेंद्र कोरवा (55) कहते हैं कि सड़क,अन्य सुविधा की बात छोड़िए हमलोगों को शुद्ध पानी नहीं मिलता. गांव में 15 चापानल हैं, जिसमें 13 खराब हैं और दो हांफ रहे हैं. उलमान गांव जाने के दौरान तीन नाला पड़ता है, जो मुख्य पथ से जुड़े हैं. एक नाला पर छलका का निर्माण हुआ है, तो दो अभी भी नहीं बने हैं. बरसात में पानी आ जाने पर नाला पार करने में काफी परेशानी होती है. दुर्घटना की भी आशंका बनी रहती है.

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