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आठ सितंबर को स्वयं पढ़ें व नवसाक्षरों को भी प्रेरित करें

मेदिनीनगर : कहा जाता है कि पुस्तक से बेहतर मित्र कोई नहीं. पुस्तक से मित्रता हो, तो यह तरक्की का मार्ग भी प्रशस्त करता है. सीखने की प्रक्रिया में जितना अहम योगदान परिवेश का है, उतना ही पुस्तकों का भी. ज्ञान का रास्ता पुस्तकों से होकर ही जाता है. लेकिन वर्तमान दौर में ऐसा देखा […]

मेदिनीनगर : कहा जाता है कि पुस्तक से बेहतर मित्र कोई नहीं. पुस्तक से मित्रता हो, तो यह तरक्की का मार्ग भी प्रशस्त करता है. सीखने की प्रक्रिया में जितना अहम योगदान परिवेश का है, उतना ही पुस्तकों का भी. ज्ञान का रास्ता पुस्तकों से होकर ही जाता है. लेकिन वर्तमान दौर में ऐसा देखा जा रहा है जब पुस्तक पढ़ने के प्रति लोगों में रुचि कम हो रही है. पुस्तक वाचन के प्रति लोगों में रुचि बढ़े, इसके लिए पलामू में जिला प्रशासन ने पहल की है.
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर पढ़े पलामू, बढ़े पलामू कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को पुस्तक वाचन के प्रति जागरूक करने का काम किया जायेगा. यह कार्यक्रम उपायुक्त अमीत कुमार की पहल पर की जा रही है.
इसे लेकर डीसी श्री कुमार ने आमलोगों के नाम अपील भी जारी की है. इस कार्यक्रम के तहत आठ सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर सुबह नौ बजे से 12 बजे तक जहां भी लोग हो वह निश्चित तौर पर पुस्तक, पुस्तक का अंश या आलेख या कोई पाठनीय सामग्री स्वयं पढ़ें व आसपास के नवसाक्षरों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें.
क्या कहते हैं डीसी
इस अभियान के बारे में पलामू उपायुक्त अमीत कुमार का कहना है कि वर्तमान समय सूचना तकनीकी का समय है. तकनीक के साथ इस युग में बहुत सारी चीजे बदल रही है. इस बदलते दौर में प्रौद्योगिकी के विकास ने मनुष्य के रुचियों में भी परिवर्तन किया है, और प्रवृतियों में भी हाल के वर्षों में पुस्तक पढ़ने में लोगों की रुचि व आवधरणा में परिवर्तन हो रहा है.
यदि ऐसा हुआ तो मनुष्य की चिंतन शक्ति और कल्पनाशीलता तो प्रभावित होगी ही. साथ ही इंसान की विचारवानता पर भी असर पड़ेगा. डीसी श्री कुमार का कहना है कि प्राय: समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति आजीवन सीखने के प्रक्रिया से गुजरता है. सीखने की प्रक्रिया में अहम योगदान निभाने का महत्व जितना परिवेश का है उतना ही पुस्तकों का. ज्ञान का रास्ता पुस्तकों से होकर ही जाता है. पुस्तक निरक्षरता के खिलाफ एक मजबूत आवाज होती है, जिनकी अनुगूंजें अज्ञानता के अंधकार को चीरकर जड़ता के विरुद्ध मुकम्मल अभियान रचती है.
पुस्तक एक ऐसी साझी संस्कृति का विकास करती है, जिसमें हरेक इंसान की बेहतरी के सपने देखे जाते है. पुस्तक मनोरंजन, ज्ञानवद्धन, रुचिवद्धन तो कराती ही है. समय का बेहतर सदुपयोग भी सीखाती है. पुस्तकें एक ओर जहां इंसानी संवेदनाओं के द्वार खोलते है वहीं दूसरी ओर समस्याओं से उबरने के लिए आत्मविश्वास व भरोसे का भाव पैदा करती है. इसी बात को ध्यान में रखकर पलामू जिला प्रशासन ने पढ़े पलामू,बढ़े पलामू का आयोजन किया है. डीसी ने इस अभियान में आमजनों से सक्रिय सहयोग की अपील की है.
यह आयोजन क्यों
पढ़े पलामू,बढ़े पलामू कार्यक्रम के तहत कोशिश यह की जा रही है कि पुस्तक वाचन के माध्यम से पलामू को पूर्ण साक्षर बनाने की दिशा में सक्रियता के साथ पहल हो.
ऐसा माना जा रहा है कि जब पढ़ने का माहौल कायम होगा, तो लोगों में जागृति आयेगी व लोगों को साक्षर बनने के लिए प्रेरित भी करेंगे. 2017 में पलामू 125 वर्षों का हुआ है. एक जनवरी 1892 को पलामू जिला बना था. वर्ष -2017 में 125 साल पूरा हुआ है. 125 वीं साल को यादगार बनाने लिए यह पहल की जा रही है.

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