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सरहुल के संदेश को आत्मसात करें

मेदिनीनगर : मंगलवार को सरहुल पर्व धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर जीएलए कॉलेज के जेएन दीक्षित छात्रावास परिसर स्थित अखरा में पूजा का आयोजन हुआ. पलामू प्रमंडलीय छात्रगण परिषद ने सरहुल पूजा महोत्सव का आयोजन किया. पाहन इंद्रदेव उरांव ने विधिवत पूजा संपन्न कराया. आदिवासी युवक युवतियों ने पारंपरिक परिधान में पूजा में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 21, 2018 4:07 AM
मेदिनीनगर : मंगलवार को सरहुल पर्व धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर जीएलए कॉलेज के जेएन दीक्षित छात्रावास परिसर स्थित अखरा में पूजा का आयोजन हुआ. पलामू प्रमंडलीय छात्रगण परिषद ने सरहुल पूजा महोत्सव का आयोजन किया. पाहन इंद्रदेव उरांव ने विधिवत पूजा संपन्न कराया.
आदिवासी युवक युवतियों ने पारंपरिक परिधान में पूजा में शामिल थी और मांदर की थाप पर नृत्य करते हुए पर्व का गीत प्रस्तुत कर रहे थे. इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में नीलांबर -पीतांबर विवि के कुलपति डॉ एसएन सिंह मौजूद थे.
सरहुल पूजा समिति के लोगों ने अतिथियों का स्वागत किया. बैच व पगड़ी बांधकर अतिथियों का स्वागत किया गया. आदिवासी छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति डॉ सिंह ने सरहुल पर्व की शुभकामना दी. कहा कि सरहुल प्रकृति से जुड़ा पर्व है.
यह पर्व समाज में खुशी का पैगाम लेकर आया है. पर्व के इस संदेश को आत्मसात करने की जरूरत है और समाज में बेहतर वातावरण तैयार हो, इसके लिए सभी वर्ग के लोगों को चाहिए कि खुशी पूर्वक त्योहार मनाये. उन्होंने कहा कि जिस तरह हिंदू नववर्ष चैत शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है. उसी तरह सरहुल के दिन से ही नये वर्ष की शुरुआत होती है.प्रकृति भी नया रूप लेती है. नये फसल आने से किसान भी खुश रहते हैं.
इस तरह सरहुल पर्व से जहां नववर्ष की शुरुआत होती है, वहीं खुशी का माहौल कायम करती है. विशिष्ट अतिथि जीएलए कॉलेज के प्राचार्य आइजे खलखो, नगर पर्षद के निवर्तमान उपाध्यक्ष एवं नगर निगम के डिप्टी मेयर के झामुमो प्रत्याशी परमेंद्र कुमार, प्रो एसी मिश्रा, डॉ कुमार वीरेंद्र, डॉ महेंद्र राम, पीएनबी के पदाधिकारी इमिल मिंज, डॉ सत्येंद्र सिंह, प्रो. सुधीर प्रसाद सिन्हा, सीआपीएफ के डिप्टी कमांडेट राजमोहन, डॉ के के सिंह आदि ने सरहुल पर्व के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला. कहा कि प्रकृति से जुड़ा पर्व सरहुल हो या करमा सभी प्रकृति की रक्षा करने का संदेश देते है. आदिवासी समाज के लोग वर्षों से प्रकृति की पूजा करते आये है. उनका मानना था कि प्रकृति ही उन्हें जीवन देती है और पालन पोषण करती है.
इसलिए प्रकृति की रक्षा करना उन सबों का धर्म है. आज जरूरत है प्रकृति की हम रक्षा करें ताकि प्रकृति भी हमारी रक्षा कर सके. सरहुल पूजा महोत्सव के संयोजक डॉ कैलाश उरांव ने सरहुल पर्व के बारे में विस्तार से बताया. कार्यक्रम का संचालन बलराम उरांव ने किया.
महुआ रे महुआ बतई सबे झरी गेल… : जीएलए कॉलेज के जेएन दीक्षित छात्रावास परिसर स्थित अखरा में सरहुल पूजा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर आदिवासी छात्र-छात्राओं ने मांदर की थाप पर थिरकते हुए पर्व से जुड़े गीत गा रहे थे. छात्राओं ने इस दौरान महुआ रे महुआ बतई सबे झरी गेल,वन में का फूला फूले,गोटा जंगल हरियर दिखे,मदगी कोचन एरै कोय सहिया, खोपा मुलरका बेसे लगी आदि गीत प्रस्तुत किये.
कार्यक्रम के बाद सरहुल की शोभायात्रा निकाली गयी. इसमें शामिल आदिवासी छात्र-छात्राएं नृत्य करते व गीत गाते चल रहे थे. इसे सफल बनाने में सरहुल पूजा समिति के अध्यक्ष आदेश तिर्की, उपाध्यक्ष शशि साक्षी कुजूर,सचिव प्रवीण उरांव, उपसचिव सपना कुमारी, कोषाध्यक्ष अभय सिंह खरवार, उप कोषाध्यक्ष कनु प्रिया तिर्की, के अलावे शुभम, सतीश, अजय, सरिता, कलावती, सपना, संध्या, आभा, सोनी, अंकिता, झारखंड छात्र मोरचा के रोहित सिंह, मुन्ना सिंह, प्रदीप कुमार, उदय राम अन्य लोग सक्रिय थे.

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