दो माह बाद स्वास्थ्य विभाग की जागी संवेदना एंबुलेंस से सदर अस्पताल लायी गयी पार्वती
रामनरेश तिवारी, पाटन : नियम कहता है कि प्रसव के 21 दिन के अंदर प्रसूति महिला को मुख्यमंत्री जननी सुरक्षा योजना का लाभ मिल जाना चाहिए. सरकार की यह कोशिश है कि सबको स्वास्थ्य का अधिकार मिले. जच्चा-बच्चा सुरक्षित रहे. इसलिए संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है. उद्देश्य साफ है […]
रामनरेश तिवारी, पाटन : नियम कहता है कि प्रसव के 21 दिन के अंदर प्रसूति महिला को मुख्यमंत्री जननी सुरक्षा योजना का लाभ मिल जाना चाहिए. सरकार की यह कोशिश है कि सबको स्वास्थ्य का अधिकार मिले. जच्चा-बच्चा सुरक्षित रहे. इसलिए संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है.
उद्देश्य साफ है कि कोई भी गरीब इलाज के अभाव में न मरे. क्या ऐसा हो पा रहा है? व्यवहार में यह मामले आ पा रहे है. यह भी एक बड़ा सवाल है. प्रसव के बाद जीवन मौत से जूझ रही पार्वती देवी के मामले ने इस व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया है.
पार्वती उस जिले से ताल्लुक रखती है, जहां के विधायक सूबे के स्वास्थ्य मंत्री है. स्वास्थ्य मंत्री का गृह जिला पलामू है. पार्वती पाटन थाना क्षेत्र के मनिका गांव की रहने वाली है. उसका प्रसव सितंबर 2018 में हुआ था. उसके घर वालों की माने तो प्रसव अस्पताल में हुआ था. तत्काल बच्चे की मौत हो गयी थी. जच्चे की भी हालत गंभीर थी.
इलाज पाटन में हुआ. स्थिति ठीक होने पर वह अपने गांव लौट गयी. पार्वती अपने मायके मनिका में रहती है. प्रसव के बाद उसकी स्थिति फिर से खराब हो गयी. उसे इलाज के लिए परिजनों ने जब सदर अस्पताल लाया, तो पार्वती को भरती नहीं किया गया. हालत गंभीर था. लेकिन सदर अस्पताल के चिकित्सकों ने सबकुछ ठीक कहकर उसे लौटा दिया.
उसके बाद परिजनों ने जब देखा की स्थिति गंभीर हो रही है, तो निजी अस्पताल में ले गये. जहां इलाज कराया. परिजन की माने तो इलाज कराने में उनलोगों ने अपनी जमीन भी बेच दी. पार्वती की मां सुगिया कुंवर की माने तो इलाज के लिए दो कट्ठा जमीन भी बेच दी है. लेकिन बेटी की स्थिति में सुधार नहीं है. पार्वती अब जिंदगी व मौत से जूझ रही है. उसकी स्थिति जानकर कुछ लोग उसके मदद के लिए आगे बढ़े. किसी तरह जानकारी स्वास्थ्य विभाग के पास पहुंच गयी. चूंकि सोमवार को राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास पलामू आ रहे है.
जन चौपाल में भाग लेंगे. इसलिए लगभग दो महीने से जिंदगी व मौत से जूझ रही पार्वती के प्रति स्वास्थ्य विभाग के मन में अचानक अपने कर्तव्य का बोध हो गया. जिस पार्वती को भरती किये बिना सदर अस्पताल से लौटा दिया गया था, उसी पार्वती को सोमवार को स्वास्थ्य विभाग ने गांव में एंबुलेंस भेजकर लाया.
अचानक स्वास्थ्य विभाग का जो संवेदना पार्वती के प्रति जागा, उसमें कहीं न कहीं मुख्यमंत्री का कल पलामू भी आना है. यदि मुख्यमंत्री का पलामू दौरा नहीं होता, तो संभव था पार्वती जिदंगी मौत से जूझते मनिका में ही अपनी जिंदगी की जंग हार जाती. वह तो भला हो मुख्यमंत्री के दौरे का. जो स्वास्थ्य विभाग के संवेदना को झकझोर कर जगा गयी. यह तो रामचंद्र नहीं, बल्कि रघुवर इंपैक्ट है. इसमें शायद गरीब, बेबस पार्वती की जान बच जाये तो बड़ी बात .
क्या है मामला
पार्वती देवी को मुख्यमंत्री जननी सुरक्षा योजना का लाभ नहीं मिला. यह सवाल जब सहिया से पूछा गया, तो सहिया सुमन तिवारी ने बताया कि यह सही है कि पार्वती को जननी सुरक्षा योजना का लाभ नहीं मिला. लेकिन जो काम सहिया स्तर का है, वह पूरा कर के काफी पहले ही सौंप दिया गया है.
आधार नंबर नहीं मिला
एएनएम शर्मिला कुमारी का कहना है कि पार्वती देवी का आवेदन साहिया के स्तर से आया था.लेकिन उसमें आधार नंबर नही था. इसलिए इसे आगे नही बढ़ाया गया. सोमवार को जमा कर देंगे. चार-पांच दिन में पैसा मिल जायेगा.