मेदिनीनगर : टेंपो स्टैंड की जगह तय, पर तीन साल बाद भी यात्री सुिवधा नदारद

मेदिनीनगर : उद्देश्य : यात्रियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराना. दावा : एक निर्धारित स्थान पर टेंपो लगने से जाम की स्थिति से निजात मिलेगी. साथ ही आमलोगों को भी यह पता रहेगा कि कहां टेंपो मिलेगा. हकीकत : टेंपो स्टैंड का जगह निर्धारित हुए तीन साल बीतने को है. लेकिन सुविधा के नाम पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 10, 2018 7:19 AM
मेदिनीनगर : उद्देश्य : यात्रियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराना. दावा : एक निर्धारित स्थान पर टेंपो लगने से जाम की स्थिति से निजात मिलेगी. साथ ही आमलोगों को भी यह पता रहेगा कि कहां टेंपो मिलेगा. हकीकत : टेंपो स्टैंड का जगह निर्धारित हुए तीन साल बीतने को है. लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं मिला. स्थिति यह है कि शहर के विभिन्न मार्गों के लिए चलने वाली टेंंपो आज तक कभी भी इस स्टैंड में नहीं लगी. जो टेंपो ग्रामीण इलाके में जाती है, वही टेंपो स्टैंड में खड़ी रहती है.
टेंपो खड़ी करने के लिए समतल जगह भी नहीं. यात्रियों के पीने के लिए पानी तक की व्यवस्था नहीं. आज जब जोर स्वच्छता पर है, उस समय भी शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं. हल्की बारिश में स्थल कीचड़मय हो जाता है. जाड़ा व गरमी में धूल उड़ते रहते हैं. यह स्थिति कचहरी जाने वाली सड़क के किनारे बने रिहर्सल मोड़ (टेंपो स्टैंड की है) बात तब की है, जब मेदिनीनगर नगर निगम नहीं बना था.
अब तो नगर पर्षद से प्रमोट होकर निगम बने आठ माह होने को है. लेकिन इसके बाद भी टेंपो स्टैंड में सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. हालांकि इस स्थल की बंदोबस्ती हो रही है. वर्ष 2015-16 में एक लाख एक हजार में इसकी बंदोबस्ती हुई थी. अब तक बंदोबस्ती से चार लाख 75 हजार रुपये की वसूली की जा चुकी है. लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं.
इस स्टैंड की स्थिति देख कर कुछ लोग हाल में हुए प्रशासनिक निर्णय पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. कह रहे है कि जिस तरह इस टेंपो स्टैंड को शिफ्ट किया गया था, उसी तरह अभी गढ़वा रूट की बसों को खुलने के लिए कोयल पुल के पास स्थान निर्धारित कर दिया गया है. लेकिन वहां भी सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. हालांकि पथ निर्माण विभाग ने बगल में एक श्रमिक शेड बना दिया है.
उसे ही एक सुविधा मान ले तो अलग बात है. टेंपो स्टैंड में सुविधा कब बहाल होगी, यह तो निगम ही बता पायेगा. क्योंकि अब जो स्टैंड है, वह निगम के हवाले ही है. देखना है कि इसके दिन कब बहुरेंगे.

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