अजीत मिश्रा, मेदिनीनगर
लगभग दस वर्षों के बाद सोमवार को पलामू की लाइफ लाइन राजहरा कोलियरी में रौनक लौटेगी. अवसर होगा. कोलियरी में पुन: उत्पादन शुरू होने का, यह ऐसा अवसर है जिसका इंतजार सिर्फ राजहरा और उसके आसपास रहने वाले लोगों को ही नहीं था. बल्कि इस अवसर का इंतजार पलामूवासियों को था.
क्योंकि राजहरा कोलियरी के साथ पलामू की प्रगति की कहानी जुड़ी हुई है. कोलियरी में उत्पादन ठप हुआ तो सिर्फ रौनक राजहरा कोलियरी का ही नहीं छीना. बल्कि उसका असर मेदिनीनगर के बाजारों तक था. कोई उद्योग धंधा नहीं. खेती बारी में निरंतर अकाल व सुखाड़. इससे पलामू में एक बेहतर वातावरण तैयार नहीं हो पा रहा था.
लेकिन अब उम्मीद है कि तस्वीर बदलेगी. क्योंकि राजहरा कोलियरी के रूप में पलामू के पास एक ऐसा औद्योगिक क्षेत्र होगा जहां प्रत्येक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोग जुड़ेंगे और सकारात्मक असर भी दिखेगा. राजहरा कोलियरी का पुन: उत्पादन का उद्घाटन सोमवार को होगा. इसे लेकर तैयारी अंतिम चरण में है.
उद्घाटन समारोह में पलामू के सांसद वीडी राम, सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह, विधायक राधाकृष्ण किशोर, आलोक चौरसिया, जीएम कोटेश्वर राव सहित कई लोग भाग लेंगे. स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी भी इस आयोजन में भाग लेंगे इसकी भी सूचना है. रविवार को इसे लेकर राजहरा में खान प्रबंधक एससी साहा, मजदूर नेता केएन पांडेय, पड़वा थाना प्रभारी सुदामा सिंह ने आयोजन स्थल का निरीक्षण किया.
आयोजन स्थल पर सुरक्षा के भी मुकम्मल इंतजाम किये गये हैं. खान प्रबंधक श्री शाहा ने बताया कि पहले पूजा अर्चना होगी. उसके बाद शिलापट का अनावरण होगा. सभा कोलियरी परिसर में ही होगी. हजारों लोगों की जुटने की उम्मीद है. क्योंकि यह लोगों की चिर प्रतीक्षित मांग थी. निरीक्षण के दौरान कोलियरी के परियोजना पदाधिकारी आरपी यादव, विजय दुबे, आरपी दुबे, नरेश चौहान, बीरेंद्र सिंह, प्रशिक्षु अवर निरीक्षक प्रकाश गुप्ता सहित कई लोग मौजूद थे.
10 नवंबर 2010 से ठप था उत्पादन
राजहरा कोलियरी में उत्पादन 10 नवंबर- 2010 से ठप था. अचानक कोलियरी के खनन क्षेत्र में पानी भर जाने के कारण सुरक्षा के दृष्टिकोण से डीजीएमएस ने सेक्शन 22 लगा दिया था और उसके बाद से उत्पादन ठप पड़ा था. 17 मार्च 2015 को डीजीएमएस द्वारा सेक्शन 22 हटाया गया. सेक्शन 22 हटने के बाद भी कोलियरी में उत्पादन शुरू नहीं हो सका.
क्योंकि प्रावधान के मुताबिक एक बार किसी भी कोलियरी में उत्पादन बंद हो जाने के बाद उसे शुरू कराने से पहले पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए जनसुनवाई जरूरी होता है. इसे लेकर 23 जनवरी 2016 को राजहरा में पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए जनसुनवाई हुआ था. उसके बाद से निरंतर प्रक्रिया चल रही थी. लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी.
इस मामले में सांसद वीडी राम द्वारा सक्रिय भूमिका निभायी गयी. पूर्व परियोजना पदाधिकारी पीएन तिवारी ने बताया कि वह 31 जनवरी 2019 को रिटायर हो गये हैं. लेकिन कोलियरी में पुन: उत्पादन शुरू करने के लिए आखिरी मोहर 30 जनवरी को पर्यावरण विभाग द्वारा मिला. इस पूरे प्रक्रिया में सांसद श्री राम व महाप्रबंधक केके सिन्हा की सक्रियता काबिले तारीफ है.
यह है कोलियरी का इतिहास
पलामू के राजहरा में 1842 में बंगाल कोल कंपनी ने राजहरा कोलियरी में कोयला का उत्पादन शुरू किया था. 1973 में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में इसका सरकारीकरण हुआ था. वर्तमान में 369 एकड़ भूमि का अनापति प्रमाण पत्र मिला है.
2033 तक का है लीज
राजहरा कोलियरी में कोयले के भंडार को लेकर जो सर्वे हुआ था. उस रिपोर्ट के मुताबिक कोलियरी की जो परीधि है उसमें कोयले का अकूत भंडार है. निरंतर उत्पादन होता रहा तो यह कोलियरी कम से कम 50 वर्षों तक चल सकती है. जिस 369 एकड़ भूमि का अनापति प्रमाण पत्र मिला है. उसमें लगभग 50 लाख टन कोयला का भंडार है. यहा जो कोयला पाया जाता है वह एशिया फेम का है. प्रबंधन सूत्रों के अनुसार राजहरा कोलियरी व इसके परिधि में आने वाले देवीराज का 2033 तक लीज है. यदि सीसीएल प्रबंधन सक्रियता दिखायेगी तो देवी राज प्रोजेक्ट भी शुरू हो सकती है जिससे पलामू में बेहतर औद्योगिक माहौल तैयार होगा.
खुश है लोग
कजरी के रामनारायण सिंह राजहरा कोलियरी से कोयले का कारोबार करते थे. श्री सिंह का कहना है कि लोग ना उम्मीद थे. लग रहा था कि राजहरा कोलियरी के नाम पर सिर्फ राजनीति हो रही है. लेकिन ईमानदारी से काम हुआ तो सकारात्मक नतीजा सामने आया है. जब कोलियरी में उत्पादन होता था तो इलाके की रौनक देखते ही बनती थी. स्थानीय लोगों के पास रोजगार के अवसर थे. राजहरा कोलियरी के कोयले का काफी मांग था. कोयला मंडी में जाने के बाद इंतजार नहीं करना पड़ता था. लोग एडवांस बुकिंग करा लेते थे.
रोजगार का अवसर मिलेगा
जगदीश सिंह काटा घर में काम करते थे. वह कहते है कि वह दौर भी देखे हैं जब एक दिन में कोलियरी में रैक के अलावा 100 से अधिक ट्रक निकलता था. अब अगर वह दिन लौट आये तो इलाके की तकदीर बदल जायेगी. यह जानकर अच्छा लग रहा है कि कोलियरी में फिर से उत्पादन शुरू होगा तो पुराने दिन लौट जायेंगे. लोगों को रोजगार मिलेगा.
कोलियरी के कारण ही थी इलाके में समृद्धि
पड़वा के बासु गांव के कृष्णा महतो का कहना है कि जो थोड़ी बहुत समृद्धि इस इलाके में है वह राजहरा कोलियरी के कारण ही है. जब कोलियरी में उत्पादन होता था तो चार से पांच हजार लोग लाभान्वित होते थे. बाहर से लोग आते थे. आर्थिक समृद्धि भी इस इलाके में कोलियरी के कारण ही आयी है. इस वजह से मेदिनीनगर की बाजारों में भी रौनक थी.
पलामू के लिए ऐतिहासिक दिन : सांसद
सांसद वीडी राम ने कहा कि पलामू के लिए 25 फरवरी का दिन ऐतिहासिक है. राजहरा कोलियरी में उत्पादन शुरू हो इसके लिए लोग लगातार मांग उठा रहे थे. 2014 में चुनाव के दौरान उन्होंने वादा किया था कि जनता के आशीर्वाद से यदि मौका मिला तो कोलियरी में फिर से उत्पादन शुरू करायेंगे. उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि जनता से किये गये वादों को उन्होंने पूरा कराने का काम किया है.