बाहर की संसदीय सीट भी जीतते रहे हैं पलामू के नेता, रांची के सांसद सुबोधकांत सहाय भी पलामू निवासी हैं

अविनाश मेदिनीनगर : राजनीतिक तौर पर पलामू का इलाका काफी समृद्ध रहा है. एकीकृत बिहार के जमाने में जहां इंदर सिंह नामधारी बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे, तो पलामू से निकल कर भीष्म नारायण सिंह (अब स्वर्गीय) केंद्रीय मंत्री से लेकर कई राज्यों के राज्यपाल तक हुए. अलग राज्य गठन के बाद भी पलामू […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 15, 2019 6:52 AM

अविनाश

मेदिनीनगर : राजनीतिक तौर पर पलामू का इलाका काफी समृद्ध रहा है. एकीकृत बिहार के जमाने में जहां इंदर सिंह नामधारी बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे, तो पलामू से निकल कर भीष्म नारायण सिंह (अब स्वर्गीय) केंद्रीय मंत्री से लेकर कई राज्यों के राज्यपाल तक हुए. अलग राज्य गठन के बाद भी पलामू की राजनीति में यह असर कायम रहा. यदि देखा जाये तो पलामू के नेताओं ने पलामू के बाहर जाकर भी संसदीय चुनाव में सफलता हासिल की है.

2004 के लोकसभा चुनाव में झारखंड के 14 संसदीय सीट पर तीन में पलामू के नेताओं ने चुनाव में अपनी जीत दर्ज की थी. आंकड़ों पर गौर करें तो 2004 के लोकसभा चुनाव में धनबाद संसदीय क्षेत्र से पलामू के चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे ने चुनाव जीता था. श्री दुबे विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं. एकीकृत बिहार के जमाने में राज्य मंत्री थे. 2004 के चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें धनबाद से उतारा था. जिसमें उन्हें जीत मिली थी. 2004 के ही चुनाव में पलामू के ही डॉ रामेश्वर उरांव कांग्रेस के टिकट पर लोहरदगा संसदीय क्षेत्र का चुनाव जीता था.

सुबोधकांत सहाय जो रांची के सांसद रहे हैं, वह भी मूल रूप से पलामू के ही रहनेवाले है. पलामू के तरहसी इलाके में उनका पैतृक निवास है. 2004 में श्री सहाय भी रांची संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीता था. इस तरह देखा जाये तो 2004 के लोकसभा चुनाव में झारखंड के 14 सीटों में से चार सीटों में पलामू के नेताओं का ही कब्जा था.

2009 में भी पलामू के नेताओं का यह प्रदर्शन कायम रहा. जब 2009 में डालटनगंज विधानसभा के विधायक रह चुके इंदर सिंह नामधारी ने चतरा संसदीय क्षेत्र से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी लोकसभा चुनाव जीता. रांची से सुबोधकांत सहाय और पलामू से कामेश्वर बैठा ने जीत दर्ज की थी. 14 में से तीन सीट पर पलामू से जुड़े नेताओं की जीत हुई थी. हालांकि श्री नामधारी ने जमशेदपुर से भी लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं मिली थी. एकीकृत बिहार में राज्य मंत्री रहे अवधेश कुमार सिंह (अब स्वर्गीय) झारखंड राज्य गठन के पहले ही रांची से लोकसभा का चुनाव लड़े थे.

जबकि पलामू संसदीय सीट से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रामसुंदर दास, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष बनने के पूर्व उदयनारायण चौधरी ने भाग्य अजमाया था. रांची के विधायक सीपी सिंह का पैतृक निवास पलामू के विश्रामपुर प्रखंड के नौगढ़ा में ही है. वर्तमान में वह झारखंड सरकार में नगर विकास मंत्री हैं.

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