रामगढ़ के उपप्रमुख के घर उग्रवादियों ने िकया हमला

घटना के बाद से दहशत में है उप प्रमुख का परिवार चैनपुर/पलामू : बुधवार की रात रामगढ़ प्रखंड के उपप्रमुख महावीर प्रसाद के पीड़हे स्थित आवास पर जेजेएमपी के उग्रवादियों ने हमला कर दिया. इस हमले में उप प्रमुख बाल-बाल बच गये, क्योंकि जैसे ही उग्रवादी उनके घर पहुंचे तो उपप्रमुख को यह अाभास हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 12, 2019 1:59 AM

घटना के बाद से दहशत में है उप प्रमुख का परिवार

चैनपुर/पलामू : बुधवार की रात रामगढ़ प्रखंड के उपप्रमुख महावीर प्रसाद के पीड़हे स्थित आवास पर जेजेएमपी के उग्रवादियों ने हमला कर दिया. इस हमले में उप प्रमुख बाल-बाल बच गये, क्योंकि जैसे ही उग्रवादी उनके घर पहुंचे तो उपप्रमुख को यह अाभास हो गया कि उग्रवादी उन्हें खोजने आये हैं. पिछले 15 दिनों से फोन पर उग्रवादी उपप्रमुख से एक लाख रुपये लेवी मांग रहे थे. इसलिए रात में जैसे ही उग्रवादी धमके वैसे ही उपप्रमुख को एहसास हो गया कि उग्रवादी आ पहुंचे हैं. वह जान बचाकर घर से भागने में सफल रहे.
उसके बाद लगातार उग्रवादी दरवाजा पीटते रहे. जब दरवाजा नहीं खुला तो वे दरवाजा तोड़कर घर के अंदर प्रवेश कर गये. घटना रात के करीब 9 बजे की है. उपप्रमुख की पत्नी मालती देवी और उनकी बेटी नीलम गुप्ता घर में डरी सहमी थी. मालती देवी के अनुसार, उग्रवादियों ने उनके पति के बारे में पूछा. यह बताने पर कि घर पर नहीं हैं.
सुनते ही उग्रवादी उपप्रमुख की पत्नी को बेरहमी से पीटने लगे. जबरदस्ती करने की कोशिश भी की. यह देखकर उपप्रमुख की बेटी नीलम अपने मां का बचाव करने के लिए आगे आयी. उसके बाद उग्रवादी ने मां बेटी दोनों को पीटा. इससे दोनों को गंभीर रूप से चोट लगी है. बेटी नीलम ने बताया कि जब उग्रवादी दरवाजा पीट रहे थे तो उसी दौरान उनलोगों ने पुलिस को इसकी सूचना दे दी थी. इसके कारण रात में अभियान एसपी अरुण सिंह, पुलिस उपाधीक्षक सुरजीत कुमार पीड़हे गांव पहुंचे और मामले की छानबीन की.
गुरुवार की सुबह पलामू के पुलिस अधीक्षक अजय लिंडा ने भी घटनास्थल पर जांच कर मामले की जांच की. पुलिस ने बताया कि जेजेएमपी के नाम पर ईंटा भट्टा से लेवी के लिए उग्रवादियों ने दहशत फैलाने के लिए हमला किया है. इस मामले में एसपी ने आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया है. इस घटना में महेश सिंह और सुशील उरांव के दस्ते का हाथ है. उपप्रमुख महावीर प्रसाद ने बताया कि 15 दिन पहले से ही उग्रवादी धमकी दे रहे थे. तीन नंबर से उन्हें धमकी मिल रही थी. सुरक्षा की गुहार लगायी गयी थी. बावजूद इसके पुलिस ने अपेक्षित ध्यान नहीं दिया.

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