अब मेदिनीनगर से रांची के लिए रात 9:30 बजे भी मिल जाती है बस

बदलाव : पहले 3:45 के बाद रांची के लिए नहीं मिलते थे यात्री वाहन मेदिनीनगर :पूर्व में मेदिनीनगर से शाम में चार बजे के बाद रांची के लिए निकलना खतरे से खाली नहीं माना जाता था. लोग यह कहते थे कि रास्ता ठीक नहीं है. शाम अधिक हो गयी, अभी रांची के लिए निकलना ठीक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 25, 2019 2:24 AM

बदलाव : पहले 3:45 के बाद रांची के लिए नहीं मिलते थे यात्री वाहन

मेदिनीनगर :पूर्व में मेदिनीनगर से शाम में चार बजे के बाद रांची के लिए निकलना खतरे से खाली नहीं माना जाता था. लोग यह कहते थे कि रास्ता ठीक नहीं है. शाम अधिक हो गयी, अभी रांची के लिए निकलना ठीक नहीं होगा. यदि जरूरी नहीं तो इस यात्रा को सुबह के लिए टाला जा सकता है. वैसे लोग ही निकलते थे, जिन्हें रांची पहुंचना ज्यादा जरूरी था, तो वह जोखिम लेकर भी निकल जाते थे. लेकिन अब वातावरण बदला है. सड़कें भी पहले के अपेक्षा ठीक हुई है.
यह वातावरण अब लोगों को भी प्रोत्साहित कर रही है. रात नौ बजे के बाद हो जाने वाले होटल रात के 12 बजे तक खुली मिल रही है. चहल- पहल देखी जा रही है. हाइवे पेट्रोलिंग के वाहन भी नजर आ रहे हैं. बदलाव का एक बड़ा उदाहरण रात्रि बस सेवा भी बना है. जहां पहले मेदिनीनगर से रांची के लिए 3:45 बजे आखिरी बस खुलती थी, इसके बाद रांची जाने के लिए सोचना पड़ता था. तब या तो फिर निजी वाहन व या फिर ट्रेन ही विकल्प था.
उसी तरह रांची से मेदिनीनगर आने के लिए भी पांच बजे के बाद कोई बस नहीं मिलती थी. असुरक्षा इसका एक बड़ा कारण था. मगर अब स्थिति में बदलाव हुआ है. रांची जाने के लिए अब मेदिनीनगर से जो अंतिम बस खुलती है, वह रात 9:30 बजे यहां से निकलती है. जबकि रांची से मेदिनीनगर आने के लिए अंतिम बस 8:50 बजे खुलता है. बस व्यवसाय से जुड़े लोगों की माने तो सवारी भी निकल रहे हैं. अब किसी तरह असुरक्षा का कोई मामला नहीं है. इसलिए कई बस मालिक भी रात्रि सेवा शुरू करने के लिए इच्छुक है.
पूर्व में मेदिनीनगर से रांची जाने में कई स्थान ऐसा था, जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से ठीक नहीं था. अमझरिया घाटी, लातेहार का पतकी जंगल, मेदिनीनगर का दुबियाखाड आदि स्थानों पर हमेशा लूटपाट की घटना होती थी. साथ ही उग्रवादियों का भी भय रहता था. मगर चंदवा के अमझरिया व लातेहार के पतकी जंगल में सीआरपीएफ का कैंप स्थापित होने के बाद सुरक्षा का वातावरण तैयार हुआ. सड़क की हालत भी बदली है. इसलिए लोग अब रात में भी निर्भिक होकर यात्रा करने में परहेज नहीं कर रहे हैं.

Next Article

Exit mobile version