संघर्ष से भरा था प्रेमचंद का जीवन

छतरपुर (पलामू) : प्रेमचंद जयंती के अवसर पर गुलाबचंद प्रसाद अग्रवाल कॉलेज में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इसका विषय था वर्तमान समय में साहित्य और मुंशी प्रेमचंद की प्रासंगिकता गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता व जनसंचार विभाग के प्रभारी डॉ कुमार वीरेंद्र ने भाग लिया. गोष्ठी की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 1, 2014 5:41 AM

छतरपुर (पलामू) : प्रेमचंद जयंती के अवसर पर गुलाबचंद प्रसाद अग्रवाल कॉलेज में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इसका विषय था वर्तमान समय में साहित्य और मुंशी प्रेमचंद की प्रासंगिकता गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता व जनसंचार विभाग के प्रभारी डॉ कुमार वीरेंद्र ने भाग लिया.

गोष्ठी की अध्यक्षता प्रो एससी मिश्र व संचालन कॉलेज के अध्यापक अखिलेश कुमार सिंह ने किया. गोष्ठी में मुख्य वक्ता डॉ कुमार वीरेंद्र ने कहा कि प्रेमचंद अन्याय, आतंक और शोषण के साये में पल रही सामाजिक व्यवस्था को पूरी तरह से बदल देना चाहते थे. उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से राजनीतिक, आर्थिक, स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी. साहित्य समाज को बदलने का एक बड़ा माध्यम है.

प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन कर कॉलेज परिवार ने एक बेहतर शुरुआत की है. उन्होंने कहा कि देश गुलाम था, उस दौर में भी और आजादी के बाद भी प्रेमचंद की रचना पंच परमेश्वर में जिस तरह उन्होंने पंच को पेश किया था, उनके इस कहानी का असर था कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू पंचायती राज लागू किया.

साहित्य के सबसे मजबूत स्तंभों में एक प्रेमचंद हैं. शैलेंद्र कुमार ने प्रेमचंद के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला. कहा कि इस तरह के आयोजन की सार्थकता तभी सिद्ध होगी, जब साहित्य से समाज को बदलने की कोशिश होगी, प्रो एससी मिश्र ने कहा कि प्रेमचंद की रचना सहज व सरल रहा है.

वर्तमान दौर में भी प्रेमचंद की प्रासंगिकता बरकरार है. क्योंकि आज भी उनकी रचना लोगों को प्रेरित करती है. मौके पर कॉलेज के संयुक्त सचिव प्रेम भसीन, प्रभारी प्राचार्य डॉ मुरारी झा, जीतेंद्र गुप्ता, अर्चना, इंदु, अशोक प्रसाद अग्रवाल सहित कई लोग थे.

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