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आंदोलन का नतीजा शून्य अब टैक्स के साथ फाइन भी

मेदिनीनगर : मेदिनीनगर नगर पर्षद को प्रमोट कर जिन इलाकों को मिला कर मेदिनीनगर नगर निगम का दर्जा दिया गया था. उन इलाकों में अभी तक शहरी सुविधा नहीं मिली है. लेकिन जैसा तय था कि निगम गठन के एक वर्ष के बाद निगम से नये रूप से जुड़े इलाके के लोगों को भी होल्डिंग […]

मेदिनीनगर : मेदिनीनगर नगर पर्षद को प्रमोट कर जिन इलाकों को मिला कर मेदिनीनगर नगर निगम का दर्जा दिया गया था. उन इलाकों में अभी तक शहरी सुविधा नहीं मिली है. लेकिन जैसा तय था कि निगम गठन के एक वर्ष के बाद निगम से नये रूप से जुड़े इलाके के लोगों को भी होल्डिंग टैक्स देना होगा.

निर्धारित अवधि पूरा होने के बाद सरकार ने होल्डिंग टैक्स जमा करने के लिए सैफ फार्म भरने का तिथि तय की. उसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया. टैक्स वसूलने के कार्य में लगे स्पौरो सॉफ्टेक कंपनी के कर्मी ने घर-घर जाकर सैफ फार्म भी उपलब्ध करा दिया. सरकार ने सितंबर माह तक टैक्स जमा करने का समय दिया था.

उन्होंने कहा गया था कि निर्धारित अवधि तक टैक्स जमा नहीं करने पर लोगों से टैक्स के अलावा विलंब शुल्क भी लिया जायेगा. सरकार का पत्र आना था और यह मामला राजनीतिक मुद्दा बनकर उभर गया. सबसे पहले इस मामले को वार्ड पार्षदों ने उठाया था. कहा था कि जब सुविधा नहीं तो टैक्स किस बात की.
इसके बाद इस मामले में पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी मुखर हुए. चेतावनी दी कि पहले सुविधा उपलब्ध कराये फिर टैक्स की बात सोचें. मुद्दा गरम हो रहा था. सत्ताधारी दल के विधायक आलोक चौरसिया से भी रहा नहीं गया. अगस्त माह में मुखर वार्ड पार्षदों को रांची बुलाकर विभागीय मंत्री सीपी सिंह से मुलाकात करा दी. मंत्री ने भरोसा दे दिया कि मामले को देखा जायेगा.
इस बीच मामला ठंडा रहा. उसके बाद दस वर्षों तक नये इलाके के लोगों से टैक्स वसूली न की जाये, इसके लिए 15 सितंबर से पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने पदयात्रा भी शुरू की, जिसका समापन 15 अक्तूबर को हुआ. इस बीच टैक्स वसूली को लेकर लिये गये निर्णय पर कोई असर नहीं पड़ा. चूंकि टैक्स का निर्धारण सरकार के सॉफ्टवेयर में अपलोड है. इसलिए उस निर्णय में कोई बदलाव नहीं हुआ.
नगर निगम द्वारा लोगों पर टैक्स जमा करने का दबाव बनाया जाने लगा. मृत्यु जन्म प्रमाण पत्र निर्गत करने पर भी रोक लगा दी गयी. अब सरकार द्वारा निर्धारित अवधि समाप्त हो गयी है. अब एक अक्तूबर से टैक्स के साथ-साथ विलंब शुल्क भी लिया जाने लगा. विलंब शुल्क का जो निर्धारण किया गया है, उसमें आवासीय मकान के लिए 2000, व्यावसायिक प्रतिष्ठान के लिए 5000 देने का प्रावधान है.

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