प्यासे हैं खेत, अधूरी रह गयी सिंचाई परियोजना
पाटन : यदि उत्तरी कोयल परियोजना का काम पूरा हो गया होता, तो पलामू के पाटन प्रखंड के किशुनपुर, लोइंगा, सूठा, पचकेडिया सहित 10 पंचायत के किसानों के खेतों तक पानी पहुंचता. लेकिन यह योजना आज भी अधूरी पड़ी हुई है. इस परियोजना के तहत पांकी बाराज होते हुए पाटन प्रखंड के कई गांवों के […]
पाटन : यदि उत्तरी कोयल परियोजना का काम पूरा हो गया होता, तो पलामू के पाटन प्रखंड के किशुनपुर, लोइंगा, सूठा, पचकेडिया सहित 10 पंचायत के किसानों के खेतों तक पानी पहुंचता. लेकिन यह योजना आज भी अधूरी पड़ी हुई है. इस परियोजना के तहत पांकी बाराज होते हुए पाटन प्रखंड के कई गांवों के खेतों तक पानी पहुंचना था.
1980 में इस परियोजना को लेकर सर्वे का काम शुरू हुआ था. सर्वे के सात-आठ साल के बाद 1988-89 में इसका कार्य शुरू हुआ था. तब इसे लेकर किशुनपुर में इस परियोजना का क्षेत्रीय कार्यालय भी खुला था. लेकिन बिना काम पूरा हुए ही यह परियोजना बंद हो गयी.
परियोजना को लेकर कुछ काम भी हुआ था. लेकिन सब बीच में ही छूट गया. किसान हमेशा इस मांग को उठाते रहे हैं. वैसे भी बात यदि पलामू की हो, तो यह इलाका सुखाड़ व अकाल का स्थायी घर माना जाता है. कैसे इस इलाके को सुखाड़ व अकाल से मुक्ति मिले, इसके लिए प्रयास शासन प्रशासन के स्तर से हुए है. लेकिन उसका अपेक्षित परिणाम अब तक सामने नहीं आया है. नतीजा लगातार यह इलाका सुखाड़ व अकाल के चपेट में रहता है.
लोगों का कहना है कि 2014 में पलामू सांसद वीडी राम, चतरा सांसद सुनील सिंह, विधायक राधाकृष्ण किशोर कुड़वा -किशुनपुर पथ का शिलान्यास करने आये थे. उस समय जब किसानों ने ध्यान आकृष्ट कराया, तब सांसदों ने भरोसा दिया था कि यह काम अब शुरू होगा. क्योंकि केंद्र व राज्य में एक ही दल की सरकार है. कहीं कोई परेशानी नहीं होगी. लेकिन इसके बाद भी अभी तक परिणाम सामने नहीं आ सका है. इससे किसानों में निराशा है.