Jharkhand news: मेदिनीनगर सेंट्रल जेल से 160 विचाराधीन बंदी जल्द होंगे रिहा, नालसा के आदेश पर हुआ फैसला
15 अगस्त से पूर्व मेदिनीनगर सेंट्रल जेल में बंद 160 विचाराधीन बंदी रिहा करेंगे. वर्तमान में सेंट्रल जेल में विचाराधीन बंदियों की संख्या 799 है. नालसा के आदेश के आलोक में अंडर ट्रायल रिव्यू कमेटी ने छोड़ने का निर्देश दिया है.
Jharkhand News: मेदिनीनगर सेंट्रल जेल में 799 विचाराधीन बंदी बंद हैं. जिसमें 160 विचाराधीन बंदियों को 15 अगस्त के पूर्व रिहा कर दिया जायेगा. नालसा के आदेश के आलोक में अंडर ट्रायल रिव्यू कमेटी ने छोड़ने का निर्देश दिया है. जानकारी के अनुसार, नालसा की ओर से 16 इंडिकेटर लागू किया गया है. इसके तहत जो कैदी जेल में बंद हैं. उन्हें छोड़ने का आदेश है.
198 विचाराधीन कैदियों को किया गया था शॉर्टलिस्ट
अंडर ट्रायल रिव्यू कमेटी की बैठक में 198 विचाराधीन कैदियों को शॉर्टलिस्टेड किया गया था. जिसके बाद रिव्यू करने के बाद कमेटी ने 160 ऐसे कैदियों को छोड़ने का निर्देश दिया है जो जेल में बंद हैं. जिसमें से 36 कैदी को छोड़ दिया गया है. अभी 10 कैदियों को फिर से कोर्ट द्वारा छोड़ने का आदेश दिया गया है, लेकिन 10 कैदी बेल बांड नहीं भरने के कारण अभी नहीं छूट पाये हैं.
नालसा के आदेश पर चलाया गया अभियान
नालसा के आदेश के अनुसार, रिलीज एट दी रेट ऑफ 75 यूटीआरसी के तहत एक कैंपेन चलाया गया है. इसके तहत जो इंडिकेटर लागू किया गया है. उसके तहत विचाराधीन कैदियों को छोड़ा जायेगा. इसका मुख्य उदेश्य जेलों में बंद कैदियों की संख्या को कम करना है. उसमें कई ऐसे भी कैदी हैं जो सामान्य अपराध करने पर भी कई सालों से जेल
में बंद हैं. जेल से वैसे कैदियों पर विचार किया गया है जो 22 जुलाई, 2022 से पहले से जेल में बंद हैं. आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर यह कैंपेन चलाया जा रहा है.
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कब हुई अंडर ट्रायल रिव्यू कमिटी की बैठक
विचाराधीन कैदियों को छोड़ने के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में चार बैठक होनी है. पहली बैठक 25 जुलाई और दूसरी तीन अगस्त को हुई. तीसरी बैठक आठ अगस्त और चौथी बैठक 12 अगस्त को होगी. रिव्यू कमिटी के मेंबर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में बैठक होती है. इसमें पीडीजे के अलावा, डालसा सेक्रेटरी, जिले के डीसी, एसपी, जेलर और पीपी शामिल होते हैं.
विचाराधीन कैदी को छोड़ने के लिए तय है 16 इंडिकेटर
इसमें वैसे विचाराधीन कैदियों को छोड़ा जाता है जो सीआरपीसी के 436 ए के अंतर्गत जेल में बंद हैं. जिन विचाराधीन कैदियों को बेल पर रिहा किया गया है, लेकिन मुचलका नहीं दिया गया है. जिसमें सुलह सफाई हो जाए. जिसमें दो साल से ज्यादा की सजा हो. जिस केस में जांच पूरी नहीं हुई हो. ऐसा व्यक्ति जो जेल में बंद है, परंतु वह बीमार, अस्वस्थ और स्पेशल ट्रीटमेंट चल रहा हो. महिलाओं को भी इस इंडिकेटर के तहत रखा गया है. जो कैदी 19 से 21 साल में अपराध किया हो और पहली बार अपराध किया हो. जिनकी मानसिक स्थिति अच्छी नहीं है. कोरोना काल में जिन्हें अंतरिम जमानत दिया गया था, लेकिन उसके बाद फिर वे जेल में बंद हैं. वैसे विचाराधीन कैदियों पर भी रिलीज करने पर विचार किया जा रहा है जिनकी उम्र 65 साल से ऊपर हो. यह जानकारी डालसा सेक्रेटरी अर्पित श्रीवास्तव ने दी.
रिपोर्ट : शिवेंद्र कुमार, मेदिनीनगर.